महाराष्ट्र (Maharashtra) के कोल्हापुर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. एक बच्चे का एग्जाम था और सेंटर तक पहुंचने में काफी वक्त लगने वाला था क्योंकि सड़क जाम लगा हुआ था. ऐसे में बी.कॉम. फर्स्ट ईयर के छात्र, समर्थ ने एग्जाम सेंटर पहुंचने के लिए पैराग्लाइडिंग का सहारा लिया और सुर्खियों का हिस्सा बन गए.
समर्थ, पंचगनी में गन्ने का रस बेचने के काम करते हैं और अपनी दुकान चलाते-चलाते वो अपना एग्जाम ही भूल बैठे. जब दोस्त का फोन आया तो उनका दिमाग नहीं काम कर रहा था कि आखिर वो अब क्या करें, क्योंकि वक्त कम था और रोड पर भारी ट्रैफिक था. एग्जाम सेंटर पासरणी गांव में था. एग्जाम सेंटर तक पहुंच पाना लगभग नामुमकिन था.
दोस्त ने कॉल पर क्या बोला?
TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, समर्थ अपने काम में व्यस्त थे, इतने में उनके एक दोस्त की कॉल आई, “समर्थ, तुम कहां हो? परीक्षा शुरू हो चुकी है.” आवाज़ में बेचैन थी. 19 वर्षीय समर्थ का दिमाग सुन्न हो गया. उन्हें घबराहट होने लगी. एग्जाम सेंटर पासरणी गांव में था, 15 किलोमीटर दूर है. समर्थ ने तेजी से दिमाग लगाया और उन्हें आकाश में छलांग लगाते हुए जाने की बात सूझी. उसने पैराग्लाइडिंग की मदद ली.
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— Vayam Bharat (@vayambharat) February 17, 2025
आखिर में ऐसे मुकम्मल हुआ सफर…
पैराग्लाइडिंग प्रशिक्षक गोविंद येवाले खड़े थे, जो हैरिसन फॉली से साहसिक उड़ानें संचालित करते थे. छात्र समर्थ उनकी ओर दौड़ा, “भाऊ, मुझे आपकी मदद चाहिए. मुझे 10 मिनट में एग्जाम देना है, क्या आप मुझे वहां ले जा सकते हैं?”
येवाले चौंके, और बोले, “एग्जाम? और आप तारीख भूल गए?” वे झुंझलाए लेकिन लड़के की आंखों में जो तत्परता थी, उसे अनदेखा करना नामुमकिन था. एक पल की हिचकिचाहट के बाद, येवाले ने अपने पैराग्लाइडर में से एक को लहराया. और बोले “पट्टी बांध लो. कसकर पकड़ो.”
दिल की धड़कनें तेज़ थी लेकिन समर्थ ने हार्नेस में सीट बेल्ट बांध ली और फिर, दौड़ते हुए, वे चट्टान से छलांग लगाने लगे. एक पल में जमीन खिसक गई और वह हवाओं में उड़ रहे थे. और देखते ही देखते समर्थ 5 मिनट के अंदर एग्जाम सेंटर के ऊपर थे.
पायलट ने ग्लाइडर को कंट्रोल किया और उसे स्कूल के मैदान में उतारा. समर्थ ने बीच में ही बेल्ट खोली और एग्जाम हाल की तरफ दौड़ पड़ा. हुआ यूं कि समर्थ ने एग्जाम सेंटर पर अपने हॉल में ठीक उसी वक्त पहुंचने में कामयाबी हासिल की, जब क्वेश्चन पेपर बांटे जा रहे थे. समर्थ को अंदर जाने दिया गया. वह अपनी सीट पर बैठा. बाद में समर्थ ने कहा, “मैं अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए काम करता हूं, लेकिन मेरी शिक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है.”