‘महात्मा गांधी के आइडिया को खत्म करने की जरूरत’, हाई कोर्ट के जज ने ऐसा क्यों और किस विचार के लिए कहा?

केरल हाई कोर्ट ने कहा कि महात्मा गांधी के आइडिया को खत्म करने की जरूरत है. हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए. मुहम्मद मुस्ताक ने कहा कि आज के समय में शासन में आने वाली चुनौतियां पहले के समय की तुलना में ज्यादा हैं. ऐसे में महात्मा गांधी की ओर से दी गई ग्राम स्वशासन और पंचायती राज व्यवस्था के विचार को समाप्त करने की जरूरत है.

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उन्होंने प्रशासन और शासन के कई पहलुओं को ज्यादा केंद्रीकरण करने पर जोर देने की बात कही है. उन्होंने कहा कि स्थानीयकरण और विकेंद्रीकरण करने से इच्छा के मुताबिक, रिजल्ट हासिल नहीं हुए हैं. हाई कोर्ट के जज ने कोर्ट में सबके सामने ये बात कही. हालांकि, उन्होंने साफ किया कि ये उनका निजी विचार है.

इस तरह के शासन में मुश्किलें ज्यादा

उन्होंने कहा कि ये मेरा व्यक्तिगत तौर पर मानना है कि गांधीजी ने जिस तरह के गांव की कल्पना की थी, जिसे अब संवैधानिक रूप से शामिल कर लिया गया है. इसे अब खत्म कर देना चाहिए. इसे खत्म करने की वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह के शासन में मुश्किलें बहुत ज्यादा हैं.

जिस समय इसे लागू किया था उस समय केवल छोटी-छोटी चीजों पर काम करना होता था. स्थानीय अधिकारियों के लिए आज के समय में चुनौती बहुत बड़ी है. नगर नियोजन का चैलेंज बड़ा है. अगर मुकदमों के प्रकार को पर गौर किया जाए तो इस चुनौती को ज्यादा हद तक समझा जा सकता है.

अपशिष्ट प्रबंधन में आती है दिक्कत

उन्होंने कहा कि अपशिष्ट प्रबंधन इसमें एक और बड़ी चुनौती है. इन्हें जमीनी स्तर पर नहीं किया जा सकता है. हमारे पास वह सहायक सिद्धांत है, लेकिन इसकी देखरेख के लिए हमारे पास एक केंद्रीकृत प्राधिकरण होना चाहिए.

कचरा प्रबंधन का उदाहरण देते हुए न्यायमूर्ति मुस्ताक ने कहा कि किस तरह से विकेंद्रीकृत प्रणाली अप्रभावी साबित हुई है. इसे एर्नाकुलम जिले में लागू किया गया था. उन्होंने कहा कि हर पंचायत कचरा प्रबंधन नहीं कर सकती, पूरे जिले या बड़े क्षेत्रों को मैनेज करने के लिए एक बड़े निकाय का होना बहुत जरूरी है.

एर्नाकुलम जिले में, कचरा प्रबंधन के लिए अलग-अलग स्थानीय निकाय कक्कनाड, थ्रीकाकारा, एर्नाकुलम शहर आदि को शामिल करते हैं. भले ही ये सभी एक ही इलाके में क्यों न शामिल हों. ये वे चुनौतियां हैं जिनका हम सामना कर रहे हैं. इसका रिजल्ट ये सामने आ रहा है कि हम कचरा प्रबंधन जैसे मुद्दों को हल करने में सक्षम नहीं हैं. अब शासन में काफी चैलेंज है. मुझे नहीं लगता कि वार्ड चुनाव से किसी को भेजना इसके लिए पर्याप्त साबित होगा. अब समय आ गया है कि हम इसे बदल दें.

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