पंचवर्षीय छोड़िए साहब! 8 साल में भी पूरा नहीं हो पाया PM आवास, 72 करोड़ के प्रोजेक्ट का हाल

प्रधानमंत्री आवास योजना (PM Awas Yojana) के तहत हर गरीब को उसका अपना घर दिलाने का सपना दिखाया गया था, लेकिन मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में यह सपना आठ साल बाद भी अधूरा ही है. 2016 में शुरू हुई इस योजना के तहत 72 करोड़ रुपए की लागत से 864 मकानों का निर्माण होना था, लेकिन आज 2025 में भी यह प्रोजेक्ट अधर में लटका हुआ है. वहीं जिन 84 परिवारों आवास दिया गया है, वे अब भी बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं. न तो बिजली है, न पानी, न सड़क और न ही नालियों की कोई व्यवस्था. कई परिवार मकान लेकर भी किराए के घरों में रहने को मजबूर हैं. आइए, आपको दिखाते हैं इस प्रोजेक्ट की हकीकत.

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पहले समझिए क्या है मामला?

विदिशा नगर पालिका द्वारा 2016 में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 864 मकानों का निर्माण कार्य शुरू किया गया था. इस योजना के तहत 648 मकान गरीब और आवासहीनों को मिलने थे, जबकि 216 मकान LIG कैटेगरी के लिए बनाए जाने थे, 2018 में यह प्रोजेक्ट पूरा होना था, जो आज 2025 में भी अधूरा पड़ा है. जब NDTV की टीम मौके पर पहुंची तो वहां 25 साल की कल्पना से मुलाकात हुई. इन 84 घरों के बीच में वे अपनी एक किराने की दुकान चलाती हैं. उनका कहना है कि “हम लोगों को मकान मिलने का आश्वासन सरकार की तरफ से पांच साल पहले मिला था, हम मकान में तीन साल से रह रहे हैं. लेकिन अभी भी कई मकान अधूरे पड़े हैं, न बिजली है न सड़क और पानी नहीं है.

कुछ यही कहना है यहां की रहवासी पार्वती, जया और नरवदी का, जिन्होंने तीन साल पहले प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान लिया. इन सबकी भी एक ही कहानी है, इन्हें प्रधानमंत्री आवास तो दिया गया लेकिन मूलभूत सुविधाएं आज भी नहीं मिली.

यहां रहने वाले रघुवीर तिवारी कहते हैं कि “हमें सरकार ने हमारा सपनों का घर दिया, लेकिन हम बिना मकान के भी रहे. हम लोगों से पांच साल पहले बीस हजार जमा कराए और मकान पूरे तीन साल बाद मिला वो भी सरकार ने नहीं दिया हम खुद अधूरे मकान में आकर रहने लगे.”

क्या कहते हैं आंकड़ें?

  • प्रोजेक्ट लागत: 72 करोड़ रुपए
  • कार्य कब शुरू हुआ: 2016
  • कार्य समाप्ति का लक्ष्य: 2018
  • कुल आवास: 864
  • गरीबों के लिए आवास: 648
  • एलआईजी आवास: 216
  • मकान मिले: 84 परिवारों को
  • अधूरे मकान: 780+
  • क्याें हुई देरी?
  • इस प्रोजेक्ट में देरी के पीछे की वजह ठेकेदार का टेंडर छोड़ना बताई जा रही है. इस पर नगर पालिका अध्यक्ष के पति राकेश शर्मा का कहना है कि “2016 का नहीं मालूम, 2022 में हमारी परिषद बनी तो ठेकेदार काम करता नहीं पाया गया था, जिससे उसका टेंडर निरस्त कर दिया गया, दोबारा से टेंडर लगाया गया है.”
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