उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के समापन में 7 दिन का समय बाकी है. इससे पहले महाकुंभ में आया 32 साल से लापता शख्स उसके परिवार को मिल गया. 1992 में जो शख्स लापता हुआ था. वह महाकुंभ मेले में स्नान करने आया. स्नान करने के बाद सपने में अपनी मां को देखा तो महाकुंभ से लगभग 160 किलोमीटर का सफर तय कर वह 32 साल बाद अपने घर पहुंच गया, जिसे देखकर उसकी मां, पत्नी, बच्चे और भाई-बहन सभी बेहद खुश हो गए.
दरअसल जमालपुर के रहने वाले अमरनाथ गुप्ता 1992 में अयोध्या ढांचा विध्वंस के दौरान कार सेवकों की टोली में गए थे. अयोध्या से ट्रेन से मिर्जापुर वापस हो रहे थे. इस दौरान जौनपुर में ट्रेन पर पथराव होने लगा. वहां से उतरकर किसी तरह वाराणसी से जमालपुर अपने घर पहुंचे. घर पहुंचने पर अमरनाथ को पुलिस ने गिरफ्तार कर मिर्जापुर की जेल में बंद कर दिया था. कुछ दिन जेल काटने के बाद जेल से छूटकर घर पहुंचे. घर पर जब मन नहीं लगा तो परिवार को बिना बताए अयोध्या निकल गए थे.
सपने में नजर आई मां
अयोध्या से वृंदावन पहुंचकर बाबा किशोर दास से दीक्षा लेकर उनके जयपुर आश्रम में रहने लगे. एक हफ्ते पहले महाकुंभ स्नान करने आए. स्नान करने के बाद रात में सो रहे थे. इस दौरान उन्होंने अपनी मां को सपने में देखा तो रविवार को मां से मिलने घर पहुंच गए. अब उनको देखने के लिए आसपास के लोग पहुंच रहे हैं. मुंबई में नौकरी कर रहे भाई विजय कुमार, चचेरे भाई त्रिलोकी, संत कुमार और राजू भी उनसे मिलने के लिए जमालपुर आ रहे हैं.
क्या है अमरनाथ की कहानी?
अयोध्या ढांचा विध्वंस के सालों से लापता अमरनाथ गुप्ता जिनकी उम्र 72 साल हो चुकी है. पढ़ाई के दौरान ही विश्व हिंदू परिषद (RSS) के साथ जुड़ गए थे. 95 साल की बूढ़ी मां प्यारी देवी, पत्नी चंद्रावती, बेटा अतुल बेटी अर्चना, अंजना मोनी समेत सात बहनें उन्हें पाकर बेहद खुश हैं. अमरनाथ गुप्ता ने बताया कि अयोध्या ढांचा विध्वंस के समय टोली में कार सेवकों के साथ गया था. वहां से लौटने के दौरान जौनपुर में ट्रेन में पथराव होने लगा. वहां सुधार कर किसी तरह वाराणसी से जमालपुर घर पहुंचे तो पुलिस ने गिरफ्तार कर मिर्जापुर जेल में बंद कर दिया था. फिर वहां से लौटने के बाद जब मन नहीं लगा तो वह घर से बिना किसी को बताए निकल गए थे.