वंदे मातरम के दौरान सोफे पर बैठे थे 10 MLA, सपा के बागी राकेश प्रताप सिंह भड़के

उप्र विधानसभा में राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ के दौरान 10 विधायकों के सोफे पर बैठे रहने का मामला सपा के बागी विधायक राकेश प्रताप सिंह ने उठाया. उनका कहना है कि जब पूरा सदन वंदे मातरम गा रहा था, तभी सदन के बाहर की लॉबी में 10 विधायक सोफे पर बैठे हुए थे.

उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय गीत के अपमान का मामला है और अपमान उन लोगों ने किया, जो संविधान की कॉपी लेकर घूमते हैं. सपा के बागी विधायक राकेश प्रताप सिंह ने किसी भी विधायक का नाम नहीं लिया, लेकिन स्पीकर सतीश महाना से सीसीटीवी को देखकर कार्रवाई करने की मांग की.

वंदे मातरम का सम्मान नहीं करते

वंदे मातरम के दौरान 10 विधायकों के खड़े न होने पर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने भी आपत्ति जताई और कहा कि यह लोग संविधान की कॉपी लेकर घूमते हैं, लेकिन उसका सम्मान नहीं करते हैं. सुरेश खन्ना ने कहा कि यह गंभीर मसला है और स्पीकर को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए, पूरी सरकार कार्रवाई के पक्ष में है.

सपा के बागी विधायक राकेश प्रताप सिंह और मंत्री सुरेश खन्ना की ओर से आपत्ति जताए जाने के बाद स्पीकर सतीश महाना ने कहा कि यह गंभीर मामला है, मैं सीसीटीवी दिखवाऊंगा और उन विधायकों से पर्सनली मिलकर बात करूंगा. अगर जरूरत पड़ी तो आवश्यक कार्रवाई की जाएगी, लेकिन सभी विधायकों को राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत का सम्मान करना चाहिए.

क्यों राष्ट्रगीत के समय खड़े होना जरूरी है?

भारत की संविधान सभा में वंदे मातरम को 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय गीत के रूप में स्वीकृत दी गई. इस मौके पर भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने कहा था कि इस गीत को भारत के राष्ट्रगान जन गण मन की तरह ही सम्मान दिया जाना चाहिए. राष्ट्र गीत को लेकर भारत के संविधान में किसी तरह का कोई जिक्र नहीं है, लेकिन भारत का हर नागरिक इसका सम्मान करता है.

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