बस्तर राजघराने में 135 वर्षों बाद गूंजी शहनाई… राजकुमारी भुवनेश्वरी के साथ होने जा रहा महाराजा कमलचंद्र का विवाह!

छत्तीसगढ़ में बस्तर राजघराने में ऐतिहासिक क्षण आया है. बस्तर के महाराजा कमलचंद्र भंजदेव का विवाह मध्यप्रदेश के किला नागौद राजघराने की राजकुमारी भुवनेश्वरी कुमारी के साथ आज 20 फरवरी को होने जा रहा है. इस शाही शादी में देशभर के 100 से अधिक राजघरानों के सदस्य और गणमान्य लोग शामिल हो रहे हैं. बस्तर राजमहल में गद्दी पर आसीन किसी राजा की पांच पीढ़ियों के बाद शादी हो रही है.

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बस्तर राजघराने में आखिरी शादी साल 1918 में महाराजा रुद्रप्रताप देव की हुई थी. इसके बाद राजगद्दी पर बैठे किसी भी राजा का विवाह बस्तर राजमहल में नहीं हुआ. यहां 135 वर्षों बाद बारात निकली है, जबकि 107 साल बाद गद्दी पर आसीन किसी राजा का विवाह राजमहल में हो रहा है.

जानकारी के अनुसार, महाराजा प्रवीरचंद्र भंजदेव का विवाह साल 1961 में दिल्ली में, विजय चंद्र भंजदेव का विवाह 1954 में गुजरात में और भरतचंद्र भंजदेव का विवाह भी गुजरात में हुआ था. अब पांच पीढ़ियों के बाद पहली बार बस्तर राजमहल में शाही शादी हो रही है. यहां 135 वर्षों बाद राजमहल से बुधवार को शाही बारात निकली. वर बने कमलचंद्र भंजदेव हाथी पर सवार होकर नगर में निकले, इस बारात में ऊंट, घोड़े चल रहे थे.

यहां बड़ी संख्या में बस्तरवासी मौजूद थे, जो शाही बारात के गवाह बने. आज 20 फरवरी की शाम राजमहल से बारात एअरपोर्ट तक निकलेगी. यहां अंतिम बार साल 1890 में महाराजा रुद्रप्रताप देव की बारात निकली थी. साल 1923 में महारानी प्रफुल्ल कुमारी देवी की शादी भी बस्तर राजमहल में हुई थी, लेकिन तब बारात नहीं निकली थी.

अब आज 20 फरवरी को महाराजा कमलचंद्र भंजदेव की बारात राजमहल से निकलेगी, जो जगदलपुर से एयरपोर्ट पहुंचेगी. इसके बाद चार्टर्ड प्लेन से किला नागौद जाएगी. बारात के लिए तीन विशेष चार्टर्ड प्लेन बुक किए गए हैं, जो बारातियों को लेकर मध्यप्रदेश के नागौद स्थित एयरपोर्ट तक पहुंचाएंगे.

राजमहल में भव्य सजावट, राजसी ठाठ-बाट और शाही इंतजाम

साल 1890 में निर्मित बस्तर राजमहल को इस ऐतिहासिक विवाह के लिए विशेष रूप से सजाया गया है. पूरे महल को रंगबिरंगी रोशनी और पारंपरिक शाही अंदाज में संवारा गया है. राजस्थान से विशेष कैटरिंग और राजवाड़ा शैली के शामियाना विशेषज्ञ बुलाए गए हैं. देश-विदेश से खास फूलों की व्यवस्था की गई.

पांच दिनों की शाही शादी में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की झलक भी देखने को मिली. समारोह को यादगार बनाने के लिए हर शाम सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. देशभर की लोक कलाओं और सांस्कृतिक विरासत की झलक प्रस्तुत की गई. बस्तर की समृद्ध परंपराओं को विशेष रूप से प्रदर्शित किया गया.

पहली बार विवाह समारोह में शामिल हुईं मां दंतेश्वरी की छत्र और छड़ी

बस्तर राजपरिवार की कुल देवी मां दंतेश्वरी का छत्र और छड़ी पहली बार किसी विवाह समारोह में शामिल हुईं. यह छत्र और छड़ी साल में केवल दो बार बस्तर दशहरा और फागुन मड़ई के दौरान ही बाहर निकाले जाते हैं. मां दंतेश्वरी का छत्र और छड़ी जगदलपुर लाया गया.

राज परिवार के सदस्यों से पूरे रीति रिवाज से पूजन किया और मां दंतेश्वरी का छत्र और छड़ी को वापस दंतेवाड़ा रवाना कर दिया गया. दंतेवाड़ा मंदिर के मुख्य पुजारी परमेश्वर नाथ जीया ने बताया कि मां दंतेश्वरी का छत्र और छड़ी विवाह के लिए पहली बार मंदिर से बाहर निकली. छत्र और छड़ी को जवानों के सुरक्षा घेरे में विशेष सलामी दी गई और वीआईपी प्रोटोकॉल के तहत पूरे सम्मान के साथ वापस दंतेवाड़ा भेजा गया.

देशभर से शाही मेहमानों का जमावड़ा

नागौद में होने जा रहे भव्य विवाह समारोह में देशभर के प्रतिष्ठित राजघरानों के सदस्य शामिल होंगे. जयपुर राजघराने से उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी, ग्वालियर राजघराने से ज्योतिरादित्य सिंधिया, गुजरात के बड़ौदा राजघराने से गायकवाड़ परिवार, मध्यप्रदेश के सिंधिया राजघराने के सदस्य, सरगुजा राजघराने के वंशज और पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव, ओडिशा के पटनागढ़ और मयूरभंज राजघराने के सदस्य भी इस समारोह में शामिल होंगे.

इसके अलावा, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, अरुण साव और प्रदेश अध्यक्ष किरण देव भी मौजूद रहेंगे. देशभर के कई राजघराने के सदस्य और टीवी कलाकार पहले ही जगदलपुर आ चुके हैं.

राजघराने की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

बस्तर राज्य की स्थापना 13वीं शताब्दी में काकतीय वंश के प्रतापरुद्र द्वितीय के भाई अन्नमदेव ने की थी. 19वीं सदी की शुरुआत में बस्तर ब्रिटिश राज के अधीन मध्य प्रांत और बरार का हिस्सा बना. साल 1956 में यह मध्यप्रदेश का हिस्सा बना और साल 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य का अंग बन गया.

बस्तर रियासत के अंतिम शासक महाराजा प्रवीरचंद्र भंजदेव थे. वर्तमान महाराजा कमलचंद्र भंजदेव, प्रवीरचंद्र के बेटे भरतचंद्र भंजदेव के पुत्र हैं. कमलचंद्र भंजदेव का ससुराल नागौद राजवंश की स्थापना राजा वीरराज जूदेव ने की थी. नागौद रियासत की राजधानी पहले उचहरा थी, जिसे बाद में नागौद कर दिया गया. 1 जनवरी 1950 को नागौद रियासत का भारत में विलय हो गया. नागौद रियासत में परिहार राजपूतों का शासन था.

नए युग की शुरुआत करेगा यह ऐतिहासिक विवाह

बस्तर राजमहल में 107 वर्षों बाद होने जा रहे इस आयोजन में बस्तर की संस्कृति, विरासत और गौरवशाली इतिहास देखने को मिलेगा. महाराजा कमलचंद्र भंजदेव ने कहा कि इस विवाह से बस्तर की पहचान केवल नक्सलवाद से नहीं, बल्कि इसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और गौरवशाली इतिहास से होगी. जब देशभर से गणमान्य व्यक्ति बस्तर आएंगे, तो उनकी धारणा बदलेगी और बस्तर की शानदार परंपराएं और विरासत दुनिया के सामने आएगी.

राजगुरु नवीन ठाकुर ने बताया कि राजघराने में पहली शादी महाराजा रूद्रप्रताप देव की 1908 में रानी कुशुमलता के साथ हुई थी. 107 वर्षों के बाद बस्तर स्टेट राजपरिवार में कमलचंद्र भंजदेव का विवाह होने जा रहा है. उन्होंने बताया कि बस्तर महाराजा कमलचंद्र भंजदेव का विवाह मध्यप्रदेश के किला नागोद महाराजा शिवेंद्र प्रताप सिंह की पुत्री राजकुमारी भुवनेश्वरी कुमारी के साथ आज 20 फरवरी को होने जा रहा है. इस शादी में शामिल होने के लिए देशभर के राजघराने बाराती बनकर यहां से जाएंगे.

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