उत्तर प्रदेश के बरेली में पालतू बिल्ली के काटने पर पांच वर्ष के बच्चे को एआरवी न लगवाने पर रैबीज के चपेट में आने की आशंका है. हाइड्रो, एयरोफोबिया के लक्षण से चिकित्सक हैरान हैं. पहली बार जिले में पालतू पशु के काटने पर संदिग्ध मामला सामने आया है. बहरहाल, रैबीज की पुष्टि के लिए बच्चे को लखनऊ के केजीएमयू रेफर किया है. डॉक्टरों ने परिजनों को बताया कि किसी भी पालतू या आवारा पशु के काटने या पंजा मारने पर तुरंत एआरवी लगवाना जरूरी होता है. यदि ऐसा नहीं किया जाए तो संक्रमण शरीर में फैल सकता है और स्थिति गंभीर हो सकती है.
बरेली जिले में पहली बार पालतू पशु के काटने से संदिग्ध रैबीज का मामला सामने आया है, जहां बदायूं जिले के बिल्सी कस्बे के रहने वाले पांच वर्षीय बच्चे सिफान को पालतू बिल्ली ने एक महीने पहले पंजा मार दिया था. लेकिन परिजनों ने उसे एंटी रैबीज वैक्सीन एआरवी नहीं लगवाई. अब उसकी तबीयत बिगड़ने पर डॉक्टरों को उसमें रैबीज के लक्षण नजर आए. जिसके बाद उसे लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) रेफर कर दिया गया है.
चार दिन से बिगड़ रही थी तबीयत
दरअसल, बच्चे की मां शालू सैफी ने कहा कि चार दिन पहले सिफान के व्यवहार में बदलाव देखने को मिला. वह चिड़चिड़ा होने लगा और गुस्से में चीजें फेंकने लगा. बुधवार की रात उसकी हालत ज्यादा बिगड़ गई. जब पानी सामने रखने पर वह डरने लगा और पंखे की हवा लगने पर जोर-जोर से रोने लगा. इससे घबराए परिजन उसे डॉक्टर के पास गए, जहां से उसे तुरंत बरेली रेफर कर दिया गया. उसके बाद बरेली के एक निजी अस्पताल में जब डॉक्टरों ने सिफान की जांच की तो उन्होंने उसमें हाइड्रोफोबिया पानी से डर और एयरोफोबिया हवा से डर के लक्षण देखे.
रैबीज संक्रमण के पाए गए लक्षण
डॉक्टरों ने कहा कि ये दोनों लक्षण रैबीज संक्रमण में पाए जाते हैं. बच्चे की लगातार लार टपक रही थी. वह आक्रामक व्यवहार कर रहा था और उसे सोचने-समझने में भी परेशानी हो रही थी. जब डॉक्टरों ने परिजनों से पूछताछ की तो पता चला कि सिफान को एक महीने पहले पालतू बिल्ली ने पंजा मारा था, लेकिन किसी को इस बात की गंभीरता का अंदाजा नहीं था. बच्चे को कोई भी टीका नहीं लगवाया गया था और न ही बिल्ली का कोई टीकाकरण हुआ था.