छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में 2010-11 में हुए जमीन घोटाले के मास्टरमाइंड को 15 साल बाद गिरफ्तार किया गया है। आरोपी का नाम लक्ष्मीनारायण अग्रवाल उर्फ फुन्नू सेठ है। आरोपी पिथौरा का रहने वाला है और जमीन खरीदफरोख्त में एजेंट का काम करता है।
यह घोटाला वर्ष 2010-11 में हुआ था जब आरोपी ने कलेक्टर के फर्जी आदेशों का इस्तेमाल किया था। इसके जरिए आरोपी फुन्नू सेठ ने 109 आदिवासी और सरकारी जमीनों की खरीदी-फरोख्त की। इसमें उसे तत्कालीन कलेक्टर एसके तिवारी के रीडर भगतराम रात्रे की मदद ली थी।
आरोपी ने इन फर्जी आदेशों की मदद से आदिवासियों और सरकार की जमीनों को बेचा, जिससे न केवल आदिवासियों को नुकसान हुआ, बल्कि सरकारी संपत्तियों की भी हानि हुई। इस घोटाले का खुलासा होने के बाद प्रशासन ने मामले की गंभीरता से जांच शुरू की।
जमीन घोटाला की जांच के लिए बनी कमेटी जांच के दौरान यह सामने आया कि रजिस्ट्री के लिए कलेक्टर के आदेश फर्जी थे। इसके बाद एक जांच कमेटी बनाई गई। कमेटी ने जांच के बाद लक्ष्मीनारायण अग्रवाल उर्फ फुन्नू सेठ को जमीन घोटाले का मुख्य आरोपी बताया।
इसके बाद कमेटी ने प्रशासन को दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। पुलिस ने लक्ष्मीनारायण अग्रवाल उर्फ फुन्नू सेठ को गिरफ्तार किया और उसके खिलाफ धारा 406, 420, 467, 468, 471, 34 और 120बी के तहत केस दर्ज किया।
गिरफ्तारी के बाद आरोपी को न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया है। इस मामले में जमीन घोटाले के मास्टरमाइंड की मदद करने वाला कलेक्टर के रीडर भगतराम रात्रे ने दो-तीन साल बाद फर्जीवाड़े की जानकारी सामने आने के बाद कीटनाशक पीकर आत्महत्या कर ली थी।
कलेक्टर की कार्रवाई और भूमि की वापसी इस मामले में तत्कालीन कलेक्टर आर संगीत ने सख्त कदम उठाते हुए कई आदिवासियों को उनकी भूमि वापस दिलवायी। इसके अलावा, सरकारी जमीनों को शासन के मद में वापस किया गया। हालांकि, कुछ मामले अभी भी लंबित हैं और प्रशासन ने इन मामलों पर विशेष ध्यान देने का आश्वासन दिया है।