अयोध्या : महाकुंभ के डायवर्जन ने बिगाड़ा खेल, टमाटर सस्ते में बेचने को मजबूर किसान

अयोध्या/बीकापुर : इस बार टमाटर की खेती किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है. महाकुंभ में आ रही भारी भीड़ के कारण लगाए गए डायवर्जन से व्यापारियों के वाहन किसानों के खेत तक नहीं पहुंच पा रहे हैं, जिससे किसान अपनी मेहनत की फसल बेहद कम दामों पर बेचने को मजबूर हो गए हैं. किसानों का कहना है कि उन्हें टमाटर मात्र चार रुपये प्रति किलो की दर से बेचना पड़ रहा है, जबकि पिछले वर्ष यही टमाटर 20 से 25 रुपये प्रति किलो बिकता था.

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व्यापारियों के वाहन नहीं पहुंच पा रहे खेतों तक

महाकुंभ के दर्शनार्थियों की भीड़ और सड़कों पर भारी जाम की वजह से व्यापारियों के वाहन खेतों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. इससे किसानों को टमाटर औने-पौने दामों में बेचना पड़ रहा है. स्थानीय किसान राकेश वर्मा, मनोहर लाल वर्मा, लालमणि निषाद, जितेंद्र तिवारी आदि ने बताया कि व्यापारियों की संख्या में भारी कमी आई है. किसानों को मजबूरन 25 किलो का एक कैरेट टमाटर मात्र 80 से 100 रुपये में बेचना पड़ रहा है, जबकि पिछले साल यही कैरेट 500 से 600 रुपये में बिका था.

उत्पादन में बढ़ोतरी, लेकिन कीमतें गिरीं

किसानों ने इस बार 2000 बीघा क्षेत्रफल में टमाटर की खेती की है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 300 एकड़ था. अनुकूल मौसम और कोहरा न पड़ने के कारण फसल अच्छी हुई और किसी भी रोग का प्रभाव नहीं पड़ा, जिससे उत्पादन में बढ़ोतरी हुई. लेकिन बाजार में खरीदारों की कमी के कारण किसानों को उनकी उपज के उचित दाम नहीं मिल पा रहे हैं.

बिचौलियों का फायदा, किसानों का नुकसान

टमाटर का सीजन शुरू होते ही बिचौलिए भी सक्रिय हो गए हैं. ये बिचौलिए किसानों से सस्ते दामों पर टमाटर खरीदकर व्यापारियों को ऊंचे दामों पर बेच रहे हैं और प्रति कैरेट 10 से 20 रुपये तक का कमीशन कमा रहे हैं. स्थानीय स्तर पर मंडी की सुविधा न होने से किसान सीधे व्यापारियों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं और बिचौलियों के चंगुल में फंसकर भारी नुकसान झेल रहे हैं. नगर पंचायत अध्यक्ष राकेश पांडे राना ने बताया कि स्थायी सब्जी मंडी के लिए भूमि चिन्हित कर ली गई है और इसका प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है.

स्थानीय किसानों की पीड़ा

  • सेमरा निवासी लालता प्रसाद वर्मा ने बताया कि उन्होंने 12 बीघा में टमाटर की खेती की है, लेकिन व्यापारियों की कमी के कारण वह अपनी फसल चार रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचने को मजबूर हैं.
  • नसीरपुर मूसी निवासी लालमणि निषाद का कहना है कि बाहर से व्यापारी न आने के कारण उन्हें बिचौलियों के माध्यम से 80 रुपये प्रति कैरेट टमाटर बेचना पड़ रहा है.
  • शेरपुर पारा के प्रेम वर्मा ने बताया कि खरीदारों की कमी से उनकी पूरी फसल खेत में ही पड़ी है.
  • रसूलपुर मठिया के अनिल वर्मा और बिलारी माफी के रामनाथ निषाद ने भी उचित मूल्य न मिलने की समस्या को उठाया और स्थानीय मंडी की आवश्यकता जताई.

स्थायी मंडी की मांग

किसानों ने मांग की है कि स्थानीय स्तर पर अस्थायी मंडी की व्यवस्था की जाए ताकि फसल को उचित दाम पर बेचा जा सके. यदि जल्द ही कोई समाधान नहीं निकला तो किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा और उनकी आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ेगा. प्रशासन से इस मामले में जल्द कदम उठाने की अपील की गई है.

 

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