home buyer demand: नोएडा से महाकुंभ में डुबकी लगाने गए लोगों के हाथों में ये बैनर, कहा- सुन लो सरकार… हमारी बात!

गुरुग्राम और नोएडा के होम बायर्स का सब्र अब जवाब दे चुका है. वर्षों से अपने सपनों के घर की रजिस्ट्री और पजेशन का इंतजार कर रहे ये लोग अब सड़कों पर उतर आए हैं. नोएडा के सेक्टर 76 स्थित स्काईटेक मट्रॉट प्रोजेक्ट के बायर्स ने पजेशन मिलने के बावजूद रजिस्ट्री ना होने पर अपनी शिकायत को सरकार तक पहुंचाने के लिए महाकुंभ में बैनर-पोस्टर के साथ शामिल हुए. यहां पर उन्होंने बैनर पोस्टर के माध्यम से अपनी बात को दिखाने की कोशिश की और सोशल मीडिया के जरिए इसको आगे बढ़ाने का काम किया.

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नोएडा में थाली-शंख से प्रशासन को जगाने की कोशिश

इसके पहले ‘हमारा घर, हमारा हक’ जैसे नारों के साथ नोएडा में सोसायटी के भीतर ही शंख, ताली और थाली बजाकर उन्होंने सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने की लगातार कोशिशे की हैं. हाल ही में शंखनाद के जरिए उन्होंने प्रशासन और बिल्डरों की नींद तोड़ने की कोशिश की. 7X सेक्टर्स की दूसरी सोसायटीज जैसे एम्स गोल्फ एवेन्यू, सनशाइन हीलियोस जैसी सोसाइटीज में रहने वाले लोगों का कहना है कि उन्होंने बिल्डर को पूरा पैसा दे दिया, लेकिन रजिस्ट्री ना होने की सजा उन्हें भुगतनी पड़ रही है. इनकी सरकार से गुजारिश है कि बिल्डर ने अगर नोएडा प्राधिकरण का बकाया नहीं दिया, तो इसमें घर खरीदारों का क्या दोष है?

जंतर-मंतर पर गूंजा आक्रोश

कुछ ऐसा ही दर्द नोए़डा के साथ ही गुरुग्राम के बायर्स भी झेल रहे हैं. रविवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर सैकड़ों होम बायर्स ने बड़ा प्रदर्शन किया. गुरुग्राम की ग्रीनोपोलिस सोसाइटी के निवासियों ने ऑरिस इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और थ्री सी (3C) जैसे बिल्डरों के खिलाफ नारेबाजी की. उनकी शिकायत बरसों से अधूरे वादे, पजेशन में देरी और रजिस्ट्री का ना होना है. कई बायर्स ने अपनी जिंदगी भर की कमाई इन प्रोजेक्ट्स में झोंक दी, लेकिन नतीजा आज भी शून्य है. वेलफेयर एसोसिएशन का कहना है कि हमने हर कानूनी रास्ता आजमाया. हरेरा, कोर्ट, मंत्रियों से अपील की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. उनका दावा है कि 50 से ज्यादा होम बायर्स की घर के पजेशन का इंतजार करते करते मौत हो चुकी है और 500 से ज्यादा बुजुर्ग अभी भी आशियाने  इंतजार कर रहे हैं.

बायर्स की परेशानी: सपनों का घर बना बोझ

होम बायर्स की पीड़ा सिर्फ कागजी नहीं, बल्कि भावनात्मक और वित्तीय भी है. बायर सुषमा यादव का कहना है कि मैंने अपनी मेहनत की कमाई इस फ्लैट में लगाई. 12 साल बीत गए, लेकिन घर नहीं मिला. बुजुर्ग माता-पिता की दवा, बेटी की पढ़ाई और किराए का खर्च सब कुछ संभालना मुश्किल हो गया है. कई परिवार EMI और किराया दोनों चुका रहे हैं, जबकि उनका फ्लैट अधूरा पड़ा है. बिल्डर और प्राधिकरण की लापरवाही ने इन लोगों को सड़क पर ला खड़ा किया है.

बिल्डर्स का विवाद ने बढ़ाया संकट

इस मामले में ऑरिस इंफ्रास्ट्रक्चर का कहना है कि थ्री सी के साथ हुए समझौते के तहत प्रोजेक्ट का 65% हिस्सा थ्री सी को बेचा गया था, लेकिन उनका दिवालिया होना और आपसी विवाद प्रोजेक्ट की देरी का कारण बने हैं. ऑरिस का दावा है कि वो अपने हिस्से के फ्लैट्स का पजेशन दे रहे हैं. लेकिन थ्री सी द्वारा अलॉट किए गए फ्लैट्स उनकी जिम्मेदारी नहीं हैं. हालांकि थ्री सी के प्रतिनिधियों का कहना है कि ऑरिस ने प्रोजेक्ट के पैसे का गलत इस्तेमाल किया और उनकी इकाइयों को हड़पने की कोशिश कर रहा है. दोनों पक्ष एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं, लेकिन इसका खामियाजा होम बायर्स भुगत रहे हैं.

कब मिलेगा न्याय?

होम बायर्स की मांग है कि उन्हें तुरंत पजेशन मिले, बिल्डर्स पर सख्त कार्रवाई की जाए और उनकी वित्तीय नुकसान की भरपाई की जाए. लेकिन हरेरा, एनसीएलटी और कोर्ट से लेकर सड़क तक की उनकी लड़ाई अभी अधूरी है. ऐसे में मजबूर बायर्स महाकुंभ के बैनर से लेकर जंतर-मंतर तक प्रदर्शन करने को मजबूर हैं.

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