Uttar Pradesh: महोबा जिले में जिला अधिवक्ता समिति के बैनर तले इकट्ठा हुए सैकड़ों अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य से विरत रहकर केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 के प्रारूप के खिलाफ सड़क पर उतरकर जोरदार प्रदर्शन करते हुए उपनिबंधक और कोषागार कार्यालय का घेराव कर प्रस्तावित क़ानून को वापस लेने एवं अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की माँग की है.
केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 के विरोध में न्यायिक कार्य से विरत रहकर सड़क पर उतरे जिला अधिवक्ता समिति के बैनर तले इकट्ठा हुए सैकड़ों अधिवक्ताओं ने कचहरी परिसर से सदर तहसील परिसर तक पैदल मार्च कर प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2025 के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया है, शहर के मुख्य मार्ग से निकले सैकड़ो अधिवक्ताओं ने जोरदार प्रदर्शन कर केंद्र सरकार से प्रस्तावित अधिनियम को तत्काल वापस लेने एवं अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम को लागू करने की मांग की है.
जिला अधिवक्ता समिति के अध्यक्ष रामसहाय राजपूत के नेतृत्व में इकट्ठा हुए सैकड़ो अधिवक्ताओं उपनिबंधक एवं कोषागार कार्यालय का घेराव कर जमकर नारेबाजी कर प्रस्तावित कानून को वापस लेने की मांग की है, अधिवक्ताओं ने कहा है कि प्रस्तावित संशोधन विधेयक संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार स्वतंत्रता के अधिकार को समाप्त कर रहा है, कहा कि, भारत देश की आजादी से अब तक राष्ट्र निर्माण में अधिवक्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका है समाज के सबसे गरीब कमजोर व्यक्ति को न्याय दिलाने के लिए भी अधिवक्ता समाज हमेशा तैयार रहता है. बताया कि, अधिवक्ताओं के बगैर समाज में न्याय की कल्पना संभव ही नहीं है प्रस्तावित संशोधन के द्वारा अधिवक्ताओं की स्वतंत्रता समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है. बताया कि, प्रस्तावित संशोधन किसी भी रूप में स्वीकार नहीं है, अधिवक्ताओं में इसको लेकर आक्रोश व्याप्त है, प्रस्तावित संशोधन विधेयक प्रत्येक दशा में वापस लेने योग्य है. प्रस्तावित विधेयक के खिलाफ महोबा जिला अधिवक्ता समिति ने विरोध दर्ज कराते हुए कहा है कि धारा 3 ए अधिवक्ताओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाकर तत्काल वकालत करने से रोकने का प्रयास है एवं प्रस्तावित धारा 35 के द्वारा अधिवक्ताओं की आवाज को दबाने का प्रयास है.
अधिवक्ताओं के विरुद्ध झूठी शिकायत के द्वारा उनकी वकालत का अधिकार समाप्त करने और बेवजह जुर्माना लगाने का कानून किसी भी प्रकार से स्वीकार नहीं है, अधिवक्ताओं को किसी भी संस्था द्वारा वेतन नहीं दिया जा रहा है ऐसे में उनके विरुद्ध शिकायत लेकर कार्रवाई करना विधि संगत,न्याय संगत एवं तर्क संगत नहीं है, दर्ज कराई गई. बताया कि, धारा 35 ए के द्वारा लोकतांत्रिक अधिकारों को समाप्त करने का प्रयास है, देश की लोकसभा और विधानसभा में भी सदस्य अपनी-अपनी आवाज पुरजोर तरीके से उठाते हैं ऐसे में किसी भी न्यायालय द्वारा या अन्य किसी से प्रकार से अधिकारों पर रोक लगाना बिल्कुल उचित नहीं है. अधिवक्ता संघ और अधिवक्ताओं की आवाज को समाप्त करके निरंकुश तंत्र को बढ़ावा देना अधिवक्ताओं के लिए स्वीकार नहीं है, जो अधिवक्ता स्वयं के अधिकार के लिए आवाज नहीं उठा सकेगा वह समाज में शोषितों और गरीबों के लिए कैसे आवाज उठा सकेगा. कहा कि, प्रस्तावित धारा 36 में बगैर जांच अधिवक्ता की विरुद्ध कार्रवाई करने की व्यवस्था से वकीलों के खिलाफ पद के दुरुपयोग की कार्रवाई होगी. बगैर जांच लाइसेंस निलंबित करना अन्याय पूर्ण तथा विधि विरुद्ध है.
अधिवक्ताओं ने प्रस्तावित विधेयक को तत्काल वापस लेने की मांग की है. इस दौरान सैकड़ो की संख्या में अधिवक्ता मौजूद रहे.