रतलाम : न्यायालय ने रिश्वत लेने के मामले में मत्सोद्योग के सहायक संचालक को 4 साल की सजा सुनाई है। मामला चार साल पुराना है, तब मत्सयोद्योग के तत्कालीन सहायक संचालक बहादुर सिंह डामर ने फरियादी से 25 हजार की रिश्वत की मांग की थी, इसके बाद रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त ने पकड़ा था।
फैसला गुरुवार को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम न्यायालय के विशेष न्यायाधीश आदित्य रावत ने सुनाया। मेघनगर, झाबुआ के रहने वाले 52 वर्षीय बहादुर सिंह को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 में चार वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। उस पर दो हजार रुपये का जुर्माना भी किया गया। फैसला सुनाने के बाद बहादुर सिंह को जेल भेज दिया गया।
मछली पालन समूह से मांगे थे पैसे
प्रभारी जिला अभियोजन अधिकारी गोल्डन राय ने बताया कि दिनांक 18 दिसम्बर 2020 को फरियादी शोभाराम धाकड़ ने लोकायुक्त कार्यालय उज्जैन में लिखित की थी कि वे इंदिरा स्वयं सहायता समूह मछली पालन सहकारी संस्था मर्यादित पिपलौदी जिला रतलाम के अध्यक्ष है।
सहकारी संस्था का था पट्टा
उक्त सहकारी संस्था का रूपनिया खाल जलाशय में पट्टा अनुबंध है। पट्टा अनुबंध स्वयं सहायता समूह मत्स्य पालन पिपलौदा तहसील जावरा जिला रतलाम एवं बहादुर सिंह डामर, प्रभारी सहायक संचालक, मत्स्योद्योग जिला रतलाम के मध्य संपादित होकर 10 वर्ष तक की अवधि के लिए अनुबंध किया गया है।
अनुदान के लिए रिश्वत
अनुबंध के अनुसार संस्था को अनुदान राशि प्राप्त होना थी। अनुदान राशि जारी करने के लिए बहादुर सिंह डामर 25 हजार रुपये की मांग कर रहे हैं। शिकायत की पुष्टि के लिए तत्कालीन डीएसपी वेदान्त शर्मा ने किया। डामर ने रिश्वत की आधी राशि लेकर आवेदक को बुलाया था।
कार्यालय में ली थी रिश्वत
शोभाराम ने 22 दिसंबर 2020 को कार्यालय में जाकर सहायक संचालक बहादुर सिंह डामर को दस हजार रुपये दिए थे। लोकायुक्त दल ने बहादुर सिंह डामर को पकड़ कर काली डायरी में रखे रिश्वत के रुपये जब्त किए थे। लोकायुक्त ने विवेचना के बाद 30 नवंबर 2022 को न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया था।