सतना जिले के उचेहरा अस्पताल में हुए बहुचर्चित गोलीकांड (Uchehra Hospital Firing Case) में 13 साल बाद अहम फैसला देते हुए अदालत (Court) ने सभी को दोषमुक्त कर दिया. मामले में कुल 13 नामजद आरोपी थे, जिसमें से एक आरोपी अतुल गौतम को एक साल पहले ही बरी किया जा चुका था. अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत (Additional Session Court) ने यह फैसला गुरुवार को सुनाया है. अपर सत्र न्यायाधीश का फैसला आने के बाद में इस मामले की पैरवी कर रहे एडवोकेट अजय शैलेश कुमार तिवारी ने कहा कि डॉक्टर की लापरवाही के चलते निर्दोष लोगों को 13 साल का अभियोजन झेलना पड़ा. अगर डॉक्टर के द्वारा गंभीरता से इलाज किया गया होता तो इस घटना को टाला जा सकता था.
क्या था मामला?
साल 2012 में पोड़ी गरादा गांव में राजकुमार सिंह पटेल को करंट लगा था. जिसे इलाज के लिए उचेहरा अस्पताल ले जाया गया. डॉक्टर ने नब्ज देखते ही मृत घोषित कर दिया और शव को मर्चुरी ले जाने को कहा. मर्चुरी ले जाते वक्त राजकुमार की सांसें चल रही थी जिसके चलते परिजनों में आक्रोश भड़क गया. तब डॉक्टर प्रजापति के द्वारा जिला अस्पताल सतना रेफर किया गया. लेकिन राजकुमार सिंह पटेल की रास्ते मे मौत हो गई. इस बात से नाराज परिवार जन के साथ उचेहरा क्षेत्र के हजारों लोगों ने सामुदायिक स्वास्थ केंद्र उचेहरा पहुंच कर विरोध प्रदर्शन किया. भीड़ को देखते हुए पुलिस बुला ली गई और पुलिस द्वारा की गई फायरिंग में दो लोग घायल हो गए था.
पुलिस ने ग्रामीणों पर दर्ज किया केस
अस्पताल में बलवा और फायरिंग के बाद उचेहरा थाने में कांग्रेस नेता अतुल गौतम डब्बू, अंकित सिंह पिता अवधनरेश सिंह निवासी बिहटा, बासपा नेता रामानंद सिंह पिता स्वर्गीय मेघनंद सिंह निवासी करही कला, यशवंत सिंह पटेल पिता भाई लाल सिंह, तेजभान सिंह पिता गया प्रसाद सिंह, राजेश सिंह पिता कल्लू सिंह, पुष्पेंद्र सिंह पिता तेजभान सिंह, रामानुज सिंह पिता हरिहर सिंह, संतभान सिंह पिता गोविंद सिंह, रावेंद्र सिंह पिता बद्री सिंह, जनपद सदस्य डॉक्टर लालबहादुर सिंह पिता रामप्रताप सिंह, लालमन दाहिया पिता देवीदीन दाहिया, धीरेंद्र सिंह पिता गोरेलाल सिंह सभी निवासी पोड़ी गरादा को नामजद आरोपी बनाया गया था. सभी पर अपराध क्रमांक 157/2012 में विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया गया था.