जब कांच में बदल गया एक इंसानी दिमाग… वैज्ञानिकों ने बताया क्या रही होगी इसकी वजह

आज से करीब दो हजार साल पहले इटली के पास माउंट वेसुवियस में ज्वालामुखी विस्फोट हुआ था. उस वक्त हरकुलेनियम नाम के प्राचीन शहर में एक युवक जो अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था, ज्वालामुखी विस्फोट से निकले गर्म राख की चपेट में आ गया. अब 2000 साल बाद उसका शव आर्कियोलॉजिस्ट को मिला. शव पर चल रहे शोध के दौरान वैज्ञानिकों को उसमें एक चौंकाने वाली घटना के सबूत दिखे. वो ये कि उस इंसान का मस्तिष्क कांच में बदल गया था. यह एक अनोखी घटना थी.

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जब 79 ई.में आधुनिक इटली के नेपल्स के निकट स्थति माउंट वेसुवियस फटा तो प्राचीन पोम्पेई और हरकुलेनियम शहर तेजी से बहने वाली चट्टान और राख की चादर में दब गए, जिसे पाइरोक्लास्टिक प्रवाह कहा जाता है. ऐसा माना जाता है. लेकिन, कांच में बदले मानवीय मस्तिष्क मिलने के बाद इस थ्योरी से इतर वैज्ञानिकों का मानना है कि इन दोनों शहरों में लोगों की मौत लावा से नहीं बल्कि गर्म राख के बादलों के ढंक जाने से हुई होगी.

एक साथ मारे गए थे हजारों लोग
इन स्थलों पर हजारों शव पाए गए हैं जो समय के साथ जमे हुए हैं, जिससे प्राचीन रोम के दैनिक जीवन की झलक भी मिलती है. 1960 के दशक में, लगभग 20 वर्षीय एक व्यक्ति के जले हुए अवशेष रोमन सम्राट ऑगस्टस की पूजा के लिए समर्पित हरकुलेनियम भवन में एक लकड़ी के बिस्तर पर पाए गए थे.

वैज्ञानिकों ने प्राचीन प्राकृतिक आपदा का रहस्य भी सुलझाया
इटली में यूनिवर्सिटा डी नापोली फेडेरिको II के फोरेंसिक मानवविज्ञान और साइंटिफिक रिपोर्ट्स पत्रिका में प्रकाशित अनुसंधान के सह-लेखक पाओलो पेट्रोन ने 2018 में इस शव में कुछ अजीब बातें देखी. उन्होंने एएफपी को बताया कि मैंने देखा कि टूटी हुई खोपड़ी में कुछ चमक रहा था. आदमी के मस्तिष्क का जो कुछ हिस्सा बचा था वह चमकदार काले कांच के टुकड़ों में बदल गया था. यह वाकई में अद्भुत और अप्रत्याशित था.

मानव मस्तिष्क बन गया था कांच
पेट्रोन ने कहा कि इस शख्स की खोपड़ी के अंदर मिला मस्तिष्क कांच का बन गया था, जो देखने में काला और चमकदार सतह वाला था, जो ओब्सीडियन के समान था. यह ज्वालामुखीय उत्पत्ति का एक प्राकृतिक कांच है.इसका निर्माण लावा के बहुत तेजी से ठंडा होने के कारण होता है.

मानव या पशुओं का कांच में बदलने का मामला कभी नहीं मिला
पेट्रोन ने कहा कि हमारे पास एकमात्र दूसरे तरह का कार्बनिक ग्लास है, जो लकड़ी के विट्रीफिकेशन के कुछ दुर्लभ मामलों में बना है. ऐसे छिटपुट मामले हरकुलेनियम और पोम्पेई में भी पाए गए हैं. हालांकि, दुनिया में किसी अन्य मामले में विट्रीफाइड कार्बनिक मानव या पशु अवशेष कभी नहीं पाए गए हैं. अध्ययन में कहा गया है कि इंसान के मस्तिष्क को कांच में परिवर्तित करना पृथ्वी पर मानव या पशु ऊतक के लिए अब तक दर्ज की गई एकमात्र ऐसी घटना है

कांच में तब्दील मानव मस्तिष्क अब तक की दुर्लभ खोज
साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित नए अध्ययन के मुख्य लेखक और ज्वालामुखी विज्ञानी गुइडो गियोरडानो ने एएफपी को बताया कि खोपड़ी के अंदर मिली ये चिप्स एक सेंटीमीटर तक चौड़ी है. उन्होंने कहा कि जब वैज्ञानिकों ने इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का उपयोग करके कांच का अध्ययन किया, तो उन्हें एक अद्भुत, वास्तव में अप्रत्याशित चीज मिली. अध्ययन के अनुसार, व्यक्ति के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के न्यूरॉन्स, एक्सॉन और अन्य पहचान योग्य भागों के जटिल नेटवर्क को कांच के रूप में संरक्षित हो गए थे.

कब कोई चीज कांच में बदलती है?
प्रकृति में कांच बहुत कम पाया जाता है क्योंकि इसे बहुत तेजी से ठंडा होने के लिए अत्यधिक गर्म तापमान की आवश्यकता होती है, जिससे क्रिस्टलीकरण के लिए कोई समय नहीं मिलता. यह आमतौर पर उल्कापिंड, बिजली या लावा के कारण होता है. मानव ऊतकों के साथ ऐसा होने की संभावना और भी कम है, क्योंकि वे अधिकांशतः पानी से बने होते हैं.

ऐसे कांच में तब्दील हुआ मानव मस्तिष्क
यह निष्कर्ष निकाला गया है कि विट्रीफिकेशन के कारण ही मानव मस्तिष्क कांच में बदल गया होगा. इस प्रक्रिया के तहत मस्तिष्क के कार्बनिक पदार्थ बहुत उच्च तापमान – कम से कम 510 डिग्री सेल्सियस के संपर्क में आ गए और उसके बाद तेजी से ठंडा करने की एक अनोखी प्रक्रिया हुई यानी विट्रीफिकेशन और मस्तिष्क कांच में बदल गया.

अध्ययन में कहा गया है कि एकमात्र संभावित परिदृश्य यह बनता है कि माउंट विसुवियस के विस्फोट से निकले राख के बादल ने शुरुआत में पूरे शहर को ढंक लिया और फिर तुरंत विलुप्त हो गया. इस वजह से इसके संपर्क में आने से उस इंसान का मस्तिष्क अचानक से काफी तापमान के संपर्क में आया और फिर तुरंत ठंडा हो गया. यही वजह है कि मस्तिष्क कांच में तब्दील हो गया.

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