सद्गुरु के कोयंबटूर ईशा योग और ध्यान केंद्र को राहत, SC ने TNPCB की याचिका को किया खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने साफ शब्दों में निर्देश दिया कि कोयंबटूर में सद्गुरु के ईशा योग और ध्यान केंद्र के निर्माण के संबंध में कोई भी कार्रवाई नहीं की जा सकती. सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार किया है.

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कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन को भी दी हिदायत

अपील खारिज करते हुए कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले को अवैध निर्माण को नियमित करने के लिए मिसाल नहीं माना जाना चाहिए. हालांकि पीठ ने ईशा फाउंडेशन को भी हिदायत दी कि भविष्य में किसी भी निर्माण कार्य के लिए कानून के अनुसार पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य है. पीठ ने कहा कि यदि भविष्य में विस्तार की कोई जरूरत होगी, तो प्रतिवादी संख्या 1 सक्षम प्राधिकारियों से पूर्व परामर्श मांगेगा.

तमिलनाडु के महाधिवक्ता पीएस रमन टीएनपीसीबी की ओर से उपस्थित थे, वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ईशा फाउंडेशन की ओर से उपस्थित हुए. केंद्र सरकार की पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना, 2006 के अनुसार अनिवार्य पर्यावरणीय मंजूरी के बिना निर्माण कार्य करने के लिए ईशा फाउंडेशन को 19 नवंबर, 2021 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था.

शैक्षणिक संस्थान है ईशा फाउंडेशन योग केंद्र

फाउंडेशन ने इस नोटिस को चुनौती देने के लिए मद्रास हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. दावा किया गया कि यह निर्माण नए नियम से बहुत पहले का है. तर्क यह भी दिया गया कि एक योग केंद्र होने के नाते यह एक शैक्षणिक संस्थान के दायरे में आता है. 2014 में केंद्र सरकार ने सभी शैक्षणिक संस्थानों, औद्योगिक शेड और छात्रावासों को निर्माण कार्य से पहले अनिवार्यत: पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त करने की आवश्यकता से छूट दी थी.

केंद्र सरकार ने तर्क दिया कि ईशा फाउंडेशन को पूर्व पर्यावरण मंजूरी लेने से छूट दी गई थी, क्योंकि उसका मिशन शिक्षा को बढ़ावा देना है. केंद्र ने 2022 में एक ज्ञापन जारी किया था जिसमें “शैक्षणिक संस्थान” को परिभाषित किया गया था. इसमें मानसिक, नैतिक और शारीरिक विकास के लिए आवश्यक चीजों के संबंध में प्रशिक्षण देने वाले संस्थान शामिल थे.

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