उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में साफ पानी न मिल पाने की वजह से करीब 300 गांव की आबादी प्रभावित हो रही है. इस गांव में बूढ़े जवान बच्चे सभी बेसमय काल के गाल में समा रहे हैं. उनके शरीर का विकास तो दूर शरीर गल रहा है. बदकिस्मती का आलम यह है कि उनकी समस्या को कोई जनप्रतिनिधि या अधिकारी सुनने वाला नहीं है, वर्षों से इस गांव का विकास नहीं हो रहा है.
राज्य का आखिरी जिला सोनभद्र वैसे तो इतिहास के पन्नों में दर्ज है. कहा जाता है कि सोनभद्र ही एक ऐसा राज्य है जो चार राज्यों को जोड़ता है लेकिन इस जिले की कुछ अपनी समस्याएं भी हैं. जिससे आम जन प्रभावित हैं, चोपन ब्लाक के हरदी पहाड़ी के पास बसे गांव पड़रक्ष पटेल नगर के लोग पानी पीने के लिए तरस रहे हैं. करीब 500 मकान की आबादी में 90% लोग फ्लोरोसिस नामक बीमारी की समस्या से जूझ रहे हैं. गांव में फ्लोराइड रिमूवल प्लांट जो लगे थे वह खराब पड़े हैं.
जिला मुख्यालय से करीब 65 किलोमीटर दूर यह गांव देखने में तो बहुत ही खूबसूरत है, लेकिन यहां के लोग क्लोराइड युक्त दुषित पानी पीने से फ्लोरोसिस नमक बीमारी से ग्रसित हैं. इनके शरीर की हड्डियां टेढ़ी हो रही हैं दांत गल रहे हैं. बच्चों का मानसिक विकास नहीं हो पा रहा है. शरीर का विकास तो दूर शरीर भी गल रहा है. थक हार कर यह कुछ कर भी नहीं पा रहे हैं. चलना तो दूर यह बैठ भी नहीं पा रहे हैं, लेटने के अलावा उनके पास और कोई चारा भी नहीं है. इन्हें लेट कर ही अपनी बात या अपना काम करना होता है.
वहीं गांव रोहिनियादामर की 25 वर्षीय रिंकी की हालत खराब है. वह चल नहीं सकती, बोल नहीं पाती है. सारा दिन जमीन पर लेटना उसकी विवशता बन चुकी है. शरीर में इतनी ताकत भी नहीं बची है कि वह बोल पाए. वह इशारों को ही समझती और इशारों में ही अपनी बात कहती है. इस गांव में अन्य लोग भी बुरी तरह फ्लोरोसिस बीमारी से ग्रसित हैं. एक बच्चा कुछ मिनट से ज्यादा खड़ा भी नहीं रह पाता. उसके शरीर के बनावट से ज्यादा उसका सिर दिखता है.
हरदी के शिक्षक राम आधार पटेल ने बताया कि इस गांव के लोग चल भी नहीं पा रहे हैं. उनके शरीर की बनावट टेढ़ी हो रही है. दांत गल रहे हैं. वहीं गांव के विजय ने कहा कि 1995 में सबसे ज्यादा क्लोराइड वाले पानी का मुद्दा उठाया था. धरना प्रदर्शन दौड़ धूप कर थक हार गया, लेकिन समस्या को किसी ने नहीं सुना. धीरे-धीरे वह बीमार पड़ते चले गए और अब चलने लायक भी नहीं बचे. रस्सियों के सहारे ही उठते बैठते हैं. पड़ोस में रहने वाली कुलवंती जिसकी उम्र 35 वर्ष है उनका कहना है कि 10 साल से उनकी कमर झुकी हुई है.
कोई अधिकारी और जनप्रतिनिधि नहीं पहुंचता
ग्रामीणों का एक बड़ा आरोप है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टर तक नहीं हैं. इलाज के नाम पर सिर्फ दर्द की दवा दी जाती है. 5 साल से ना यहां डीएम आए और ना सांसद और ना ही विधायक. सिर्फ चुनाव में वोट मांगने के लिए आते हैं. जिले के बभनी, म्योरपुर, दुद्धि और को क्षेत्र के 2 लाख से अधिक की आबादी ज्यादा प्रभावित है. जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अश्वनी कुमार ने कहा कि दूषित पानी के सेवन से बचाव के लिए नियमित अभियान चलाया जाता है. गांव में टीमें कैंप कर रही हैं. मरीजों को चिंहित कर दवाई भी दी जाती है. फ्लोरोसिस से बचाव के लिए शुद्ध पेयजल ही एक मात्र उपाय है.
जल जीवन मिशन के तहत पहुंचाया जा रहा शुद्ध जल
नमामि गंगे परियोजना के अपर जिलाधिकारी रोहित यादव ने कहा कि क्लोराइड प्रभावित गांवों में शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन के तहत पाइपलाइन बिछाकर घरों को पानी की आपूर्ति व्यवस्था कराई जा रही है. जैसे कोन क्षेत्र में हर्रा पेयजल परियोजना, म्योरपुर में झीलों बीजपुर परियोजनाएं संचालित हैं. जिन इलाकों में किन्ही कारणों से पानी नहीं पहुंच रहा, उसकी नियमित समीक्षा कर समस्या दूर कराई जा रही है. जल्द ही इन क्षेत्र के लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा.