महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी में तकरार, नेता प्रतिपक्ष के चयन पर नहीं बनी सहमति..

महाराष्ट्र में 3 मार्च से विधानसभा का सत्र शुरू होने वाला है. इससे पहले यहां नेता विपक्ष का चुनाव होना है. सत्र से पहले नेता प्रतिपक्ष चुनना जरूरी है. इसको लेकर अब महाविकास अघाड़ी के सहयोगी दलों के बीच ही ठन गई है. ऐसा कहा जा रहा है कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी में ही आपस में नही बन रही है. गठबंधन के दलों के बीच न बनने के पीछे की सबसे बड़ी वजह विधानसभा मे नेता विपक्ष का पद माना जा रहा है.

नेता प्रतिपक्ष के पद को लेकर 28 फरवरी को मातोश्री में उद्धव ठाकरे की पार्टी के चुने गए सभी विधायकों की बैठक हुई. इस दौरान बैठक में कहा गया कि वे नेता प्रतिपक्ष का नाम विधानसभा अध्यक्ष को देंगे. उद्धव की पार्टी की तरफ से विधायक भास्कर जाधव और सुनील प्रभु के नाम की चर्चा हुई. हालांकि इस पर आखिरी सहमति नहीं बन पाई है.

महाविकास अघाड़ी में नहीं बनी सहमति

नेता प्रतिपक्ष के पद को लेकर महाविकास अघाड़ी मिलकर अपना दावा क्लेम करेगी तब ही ये पद मिल सकता है. लेकिन, अब तक महाविकास अघाड़ी में सहमति नहीं बन पाई है. अगर सभी दल अलग-अलग नेता प्रतिपक्ष का पद मांगते हैं तो मुश्किल है कि उन्हें पद मिले.

विपक्ष के नेता पद के लिए राजनीतिक दलों का ऐसे पीछे पड़ने का एक कारण और है महाराष्ट्र में जल्द नगर निगम,महानगर पालिका और जिला परिषद के चुनाव हैं.ऐसे में जिस पार्टी का नेता विपक्ष बनेगा उसे इन स्थानीय स्वराज संस्थाओं के चुनाव में अपर हैंड मिलेगा ये तय है. सबसे ज्यादा असर उन 16 महानगपालिका में दिखाई देगा जिसमे मुंबई ठाणे, नवी मुंबई, मीरा भायंदर, वसई विरार, सोलापुर, संभाजी नगर, नाशिक, पुणे शामिल है.

महाविकास अघाड़ी के पास केवल 46 विधायक

नेता प्रतिपक्ष बनाने के लिए विपक्षी पार्टी के पास विधानसभा की 10 प्रतिशत सीटें होनी चाहिए. कम से कम 28 सीटें किसी विपक्षी पार्टी के पास होनी चाहिए लेकिन महाविकास अघाड़ी में ना तो कांग्रेस, ना शिवसेना-यूबीटी और ना ही एनसीपी-एसपी को 10 प्रतिशत सीट मिल पाई. यही कारण है कि कोई अकेले के दम पर पद नहीं मांग रहा है. हालांकि अब इसपर आखिरी निर्णय विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर को लेना है.

2024 में हुए विधानसभा चुनाव में महाविकास आघाड़ी में शामिल दलों को सिर्फ 46 सीटें मिली हैं, इसमें कांग्रेस के खाते में 16 सीटें आईं तो राकां शरद पवार गुट ने 10 सीटों पर जीत हासिल की थी. इसके अलावा गठबंधन में सबसे ज्यादा सीटें शिवसेना उद्धव गुट को मिलीं, पार्टी ने महाराष्ट्र में 20 सीटों पर जीत दर्ज की. इससे पहले आघाडी की सरकार गिर जाने के बाद नेता विपक्ष का पद कांग्रेस के पास था.

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