केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने शनिवार को दिल्ली में मणिपुर की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की, जिसमें सूबे में सामान्य स्थिति बहाल करने और कई समूहों द्वारा रखे गए अवैध और लूटे गए हथियारों को आत्मसमर्पण करने पर ध्यान केंद्रित किया गया. मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद यह पहली ऐसी बैठक थी. मणिपुर में साल 2023 से जातीय हिंसा जारी है, जिसमें 250 से ज्यादा लोगों की जान चली गई है.
सूत्रों ने बताया, “गृह मंत्री ने मणिपुर में सुरक्षा स्थिति के बारे में जानकारी ली. सूबे में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर विस्तृत जानकारी दी गई.” सूत्रों ने बताया कि मीटिंग का फोकस मई 2023 से पहले जैसी सामान्य स्थिति बनाने और तमाम समूहों के पास मौजूद अवैध और लूटे गए हथियारों को वापस सौंपने पर था. बैठक में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला, मणिपुर सरकार, सेना और अर्धसैनिक बलों के शीर्ष अधिकारी शामिल हुए.
केंद्रीय गृहमंत्री ने दिए अहम निर्देश
गृह मंत्री अमित शाह ने निर्देश दिया कि 8 मार्च, 2025 से मणिपुर के सभी रास्तों पर जनता की मुक्त आवाजाही सुनिश्चित की जाए, रास्ते में अवरोध उत्पन्न करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए. जबरन उगाही के सभी मामलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रखी जाए.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि मणिपुर से लगने वाले इंटरनेशनल बॉर्डर पर आवाजाही के लिए चिन्हित किए गए प्रवेश स्थानों के दोनों तरफ बाड़ लगाने के काम को जल्द पूरा किया जाए. इसके साथ ही, मणिपुर को नशामुक्त बनाने के लिए नशे के व्यापार में लिप्त पूरे नेटवर्क को ध्वस्त किया जाए.
सूबे में राष्ट्रपति शासन
मणिपुर में 13 फरवरी को एन बीरेन सिंह के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था. राज्य विधानसभा का कार्यकाल निलंबित कर दिया गया है, जो 2027 तक है. राज्यपाल द्वारा 20 फरवरी को अवैध और लूटे गए हथियार रखने वाले सभी लोगों को आत्मसमर्पण करने की चेतावनी दिए जाने के बाद सुरक्षा समीक्षा की गई. सात दिनों के वक्त के दौरान, मुख्य रूप से घाटी के जिलों में 300 से ज्यादा हथियार जनता द्वारा लौटाए गए. इनमें मैतेई कट्टरपंथी समूह अरम्बाई टेंगोल द्वारा आत्मसमर्पण किए गए 246 आग्नेयास्त्र शामिल हैं.
राज्यपाल ने बढ़ाई हथियार लौटाने की समय सीमा
राज्यपाल ने शुक्रवार को लूटे गए और अवैध हथियारों को जमा करने की समयसीमा को 6 मार्च शाम 4 बजे तक बढ़ा दी, क्योंकि पहाड़ी और घाटी दोनों क्षेत्रों के लोगों ने अतिरिक्त समय की मांग की थी. करीब 22 महीने पहले शुरू हुई जातीय हिंसा के शुरुआती चरण के दौरान मणिपुर में कई जगहों पर पुलिस से कई हजार हथियार लूटे गए थे.
मई 2023 में मैतेई समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद हिंसा शुरू हुई. सूबे में स्थायी शांति अभी भी दूर की कौड़ी बनी हुई है, भले ही केंद्र सरकार ने युद्धरत समुदायों को बातचीत की मेज पर लाने के लिए कई प्रयास किए हों.