महाराष्ट्र में राजनीतिक हलचल हमेशा बनी ही रहती है. राज्य में बजट सेशन शुरू होने से पहले विपक्षी दलों के गठबंधन महा विकास अघाड़ी (MVA) ने राज्य सरकार पर हमला बोला है. अघाड़ी ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार और विपक्ष में किसी तरह का संवाद नहीं हो रहा है. महायुति सरकार के कई मंत्रियों पर घोटाले के आरोप लग रहे हैं लेकिन उनकी ओर से एक भी इस्तीफा नहीं दिया जा रहा है. साथ ही विपक्ष ने ‘Tea Party’ का बहिष्कार किया.
अघाड़ी ने राज्य सरकार पर हमला करते हुए कहा कि आज के समय राज्य सरकार और विपक्ष में कोई संवाद नहीं है. उनके मंत्रियों पर इतने सारे घोटाले के आरोप लग रहे हैं, लेकिन उनमें से एक का भी इस्तीफा नहीं हो रहा. देवेंद्र फडणवीस की सरकार विपक्ष की आवाज नहीं सुन रही तो महायुति सरकार की ‘Tea Party’ में शामिल होने का मतलब क्या है?
जलगांव की घटना गंभीरः आदित्य ठाकरे
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस की ओर से भाई जगताप और अमन पटेलस राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP-SP) से जितेंद्र आव्हाड और शिवसेना (उद्धव ठाकरे) से आदित्य ठाकरे तथा अम्बादास दानवे शामिल हुए विपक्षी पार्टियों ने आज रविवार शाम मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की ओर से दी गई ‘Tea Party’ का बहिष्कार किया है. कोई विपक्षी नेता सीएम की ‘Tea Party’ में शामिल नहीं होगा
जलगांव मामले में शिवसेना (UBT) के नेता आदित्य ठाकरे ने कहा, “किसी भी बेटी के साथ ऐसी घटना हो वो बहुत ही गंभीर है. कई सालों से गृह मंत्री (देवेंद्र फडणवीस) एक ही हैं. आज पुलिस के साथ बंधे हुए हैं. पुलिस के हाथ खोलिए.”
उन्होंने आगे कहा कि कानून व्यवस्था राज्य में पूरी तरह से बिगड़ चुकी है. और जहां तक इस घटना में एकनाथ शिंदे गुट से जुड़े लोगों के शामिल होने की बात है. तो जो खुद ही भगोड़ा रहा है तो उसके बारे में क्या बात करें.
लाडकी बहिन योजना पर बरसा MVA
माधवी गांव में मुस्लिमों के बहिष्कार पर आदित्य ठाकरे ने कहा, “आपको पता है कि इस मुद्दे पर हमारी पार्टी और महा विकास अघाड़ी की क्या भूमिका है, लेकिन जिस मंत्री (नीतेश राणे) का आप नाम ले रहे हैं. उनकी बात को हम गंभीरता से नही लेते. तवज्जो नहीं देते.
महा विकास अघाड़ी ने लाडकी बहिन योजना के तहत दिए जाने वाले दिए जाने वाले किस्त को लेकर कहा कि चुनाव से पहले महायुति को योजना के तहत राज्य की महिलाओं को धोखा देना ही था. इसलिए पहले स्क्रूटनी के नाम पर इस योजना से लाखों महिलाओं के नाम बाहर निकाले और अब राज्य के बजट पर इसका इतना बोझ पड़ रहा है कि यह खुद या तो विधानसभा सभा में या कोर्ट में यह कह देंगे कि इस योजना का बोझ राज्य का बजट नहीं सह सकता. इसलिए इसे बंद कर दीजिए.