लोन लेने में पुरुषों से पीछे नहीं महिलाएं, पिछले 5 साल में 22 प्रतिशत की बढ़ोतरी

भारत में लोन लेने वाली महिलाओं की संख्या पिछले पांच वर्षों में 22 प्रतिशत की सालाना दर से बढ़ी है, जिनमें से अधिकांश कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों से हैं. सोमवार को जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं के लोन का बड़ा हिस्सा उपभोग की मांग को पूरा करने के लिए था और तुलनात्मक रूप से व्यवसायों के लिए कम लोन लिया गया.

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नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) बीवीआर सुब्रमण्यम ने भारत में वित्तीय वृद्धि की कहानी में महिलाओं की भूमिका शीर्षक वाली यह रिपोर्ट जारी की. यह रिपोर्ट ट्रांसयूनियन सिबिल, नीति आयोग के महिला उद्यमिता मंच (डब्ल्यूईपी) और माइक्रोसेव कंसल्टिंग (एमएससी) ने प्रकाशित की है.

गोल्ड के बदले 38 प्रतिशत लोन

एक बयान के मुताबिक, भारत में लोन लेने वाली महिलाओं की संख्या वर्ष 2019 और 2024 के बीच 22 प्रतिशत की चक्रवृद्धि दर से बढ़ी है. जहां कंजप्शन लोन महिला उधारकर्ताओं द्वारा लिया जाने वाला पसंदीदा प्रोडक्ट बना हुआ है वहीं अब अधिक महिलाएं बिजनेस लोन भी ले रही हैं. रिपोर्ट कहती है कि 2024 में व्यवसायों के वित्तपोषण के लिए महिलाओं ने सिर्फ तीन प्रतिशत लोन लिया जबकि पर्सनल लोन, कंज्यूमर लोन, होम लोन के लिए 42 प्रतिशत और गोल्ड के बदले 38 प्रतिशत लोन लिए गए.

लोन अकाउंट में 4.6 गुना वृद्धि

रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 से कारोबार के इरादे से खोले गए लोन अकाउंट की संख्या में 4.6 गुना वृद्धि हुई है लेकिन ये लोन 2024 में महिलाओं द्वारा लिए गए कुल लोन का सिर्फ तीन प्रतिशत हैं. सरकारी शोध संस्थान नीति आयोग ने बयान में कहा कि भारत में अधिक महिलाएं लोन लेना चाह रही हैं और सक्रिय रूप से अपने क्रेडिट स्कोर की निगरानी भी कर रही हैं. दिसंबर, 2024 तक करीब 2.7 करोड़ महिलाएं अपने लोन पर नजर रखे हुए थीं जो उनकी बढ़ती वित्तीय जागरूकता को दर्शाता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि महिला उधारकर्ताओं में से 60 प्रतिशत कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों से थीं. एमएससी के प्रबंध निदेशक मनोज कुमार शर्मा ने कहा कि यह महानगरों से परे एक गहरी वित्तीय छाप को दिखाता है. इसके साथ ही महिलाओं की युवा पीढ़ी अपने लोन की निगरानी में भी सबसे आगे है.

सामूहिक प्रयास की जरूरत

इस अवसर पर सुब्रमण्यम ने कहा कि सरकार मानती है कि वित्त तक पहुंच महिला उद्यमिता के लिए एक बुनियादी सक्षमता है. सुब्रमण्यम ने कहा कि समान वित्तीय पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत है. महिलाओं की जरूरतों के अनुरूप समावेशी उत्पादों को डिजाइन करने में वित्तीय संस्थानों की भूमिका, साथ ही संरचनात्मक बाधाओं को दूर करने वाली नीतिगत पहल, इस गति को बढ़ाने में सहायक होगी.

आयोग की प्रमुख आर्थिक सलाहकार और डब्ल्यूईपी की मिशन निदेशक अन्ना रॉय ने कहा कि महिला उद्यमिता को प्रोत्साहित करना भारत में कार्यबल में प्रवेश करने वाली महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर सुनिश्चित करने का एक तरीका है.

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