बरेली : दो अवैध कॉलोनियों पर चला बीडीए का बुलडोजर, मचा हड़कंप

 

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बरेली:  विकास प्राधिकरण लगातार अवैध कालोनियों के खिलाफ कार्यवाही कर रहा है. बरेली के कैंट क्षेत्र में बन रही दो अवैध कालोनियों पर बीडीए ने ध्वस्तीकरण की कार्यवाही की है. बीडीए की कार्यवाही से कॉलोनाइजर्स में हड़कंप मच गया है. बीडीए अध्यक्ष मणिकंदन ए का कहना है कि अवैध कालोनी बनाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही भी की जाएगी.

4000 और 5000 हजार वर्ग मीटर में बनाई जा रही थी दो अवैध कालोनियां

बीडीए की प्रवर्तन टीम द्वारा 4000 और 5000 हजार वर्ग मीटर में बनाई जा रही दो बड़ी अवैध कालोनियों पर बुलडोजर की कार्यवाही की है. बीडीए की प्रवर्तन टीम को सूचना मिली थी कि कैंट क्षेत्र में बिना नक्शा पास करवाए अवैध रूप से दो कालोनियों का बनाया जा रहा है. जिसके बाद बीडीए द्वारा पहले दोनों कॉलोनाइजर को नोटिस दिया गया लेकिन उसके बावजूद कॉलोनाइजर्स ने नक्शा पास नहीं करवाया. जिसके बाद बीडीए की प्रवर्तन टीम ने आज ध्वस्तीकरण की कार्यवाही की है.

बीडीए वीसी ने दी जानकारी

बीडीए वीसी आईएएस मणिकंदन ए ने बताया कि वीरेन्द्र पाल द्वारा ग्राम चौबारी थाना कैन्ट में लगभग 4000 वर्गमी क्षेत्रफल में और गजेन्द्र पटेल, सुलेमान खॉन एवं अब्दुल द्वारा दूरदर्शन केन्द्र निकट लाल फाटक थाना कैन्ट में लगभग 5000 वर्गमी क्षेत्रफल में बिना विकास प्राधिकरण की स्वीकृति के सड़क, भूखण्डों का चिन्हांकन आदि का कार्य करते हुए अवैध कालोनी का निर्माण कराया जा रहा था. दोनों अवैध कालोनियों के विरूद्ध उत्तर प्रदेश नगर योजना एवं विकास अधिनियम-1973 की सुंसगत धाराओं के अन्तर्गत कार्यवाही करते हुए प्राधिकरण के अवर अभियन्तागण अजीत साहनी, सीताराम, रमन अग्रवाल एवं सहायक अभियन्ता सुनील कुमार के द्वारा अवैध कालोनियों के विरूद्व ध्वस्तीकरण की कार्यवाही की गयी.

बीडीए की चेतावनी

सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है कि उत्तर प्रदेश नगर योजना एवं विकास अधिनियम-1973 के प्राविधानों के अन्तर्गत किसी भी व्यक्ति द्वारा निर्माण प्लाटिंग करने से पूर्व बरेली विकास प्राधिकरण से मानचित्र स्वीकृत कराना अनिवार्य है. बिना मानचित्र स्वीकृत कराये प्लाटिंग करना या भवन निर्माण करना पूरी तरह से अवैध है. बिना मानचित्र स्वीकृत कराये किये गये विकास निर्माण का ध्वस्तीकरण प्राधिकरण द्वारा किया जा सकता है इसके लिए भवन, भूखण्ड के क्रेताओं को सलाह दी जाती है कि भविष्य में किसी भी परेशानी से बचने के लिए भूखण्ड क्रय करने से पूर्व उसकी मानचित्र स्वीकृति सम्बन्धी जानकारी प्राधिकरण से अवश्य प्राप्त कर लें.

मानचित्र स्वीकृत न होने की स्थिति में खरीदारी से बचने की सलाह दी जाती है. अन्यथा की दशा में प्राधिकरण द्वारा उत्तर प्रदेश नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम-1973 की सुसंगत धाराओं के अन्तर्गत प्रभावी कार्यवाही की जायेगी, जिसका समस्त उत्तरदायित्व निर्माणकर्ताओं का स्वयं का होगा.

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