जल्द सस्ता हो सकता है पेट्रोल-डीजल, गल्फ और अमेरिका से आई गुड न्यूज

भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में जल्द ही गिरावट देखने को मिल सकती है. उसका कारण भी है. खाड़ी देशों और अमेरिका से गुड न्यूज आई है. वास्तव में खाड़ी देशों के कच्चे तेल की कीमतें लगातार तीसरे दिन 70 डॉलर प्रति बैरल पर है. वहीं दूसरी ओर अमेरिकी कच्चे तेल की कीमतें 66 डॉलर प्रति बैरल पर दो दिनों से कारोबार करती हुई दिखाई दे रही है. जानकारों की मानें तो खाड़ी देशों का कच्चा तेल जल्द ही 65 डॉलर प्रति बैरल और अमेरिकी ऑयल 60 डॉलर प्रति बैरल पर दिखाई दे सकता है. जिससे दुनिया का दूसरे सबसे बड़े क्रूड इंपोर्टर भारत को काफी राहत मिलने की उम्मीद है.

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वास्तव में अमेरिकी टैरिफ और ट्रंप के ड्रिल बेबी ड्रिल प्रोग्राम शुरू करने के बाद मार्केट में कच्चे तेल की सप्लाई में इजाफा होने वाला है. वहीं दूसरी ओर खाड़ी देशों के ग्रुप ओपेक प्लस ने टैरिफ के डर से क्रूड ऑयल की सप्लाई बढ़ाने का फैसला लिया है. जिसकी वजह से कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है. वास्तव में अमेरिका अप्रैल से कनाडा, मैक्सिको और चीन पर टैरिफ बढ़ाने का ऐलान किया है.

साथ ही 2 अप्रैल से देश को रेसीप्रोकल टैरिफ लगाने का भी ऐलान किया है. जिसकी वजह से निवेशकों के मन में काफी डर फैल गया है. जिसकी वजह से की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर कच्चे तेल की कीमतें कितनी हो गई हैं और पेट्रोल और डीजल की कीमत कितनी कम होने की संभावना है.

कच्चे तेल की कीमतों में आई कमी

इंटरनेशनल मार्केट में खाड़ी देशों का कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड ऑयल बुधवार को 1.74 डॉलर या 2.45 फीसदी की गिरावट के साथ 69.30 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ. वैसे गुरुवार को उसमें मामूली इजाफा देखने को मिल रहा है, उसके बाद भी कीमतें 79 डॉलर प्रति बैरल से नीचे बनी हुई है. इसका मतलब है कि ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें लगातार 3 दिनों से 70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे देखने को मिल रही हैं. वहीं दूसरी ओर अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड (WTI) बुधवार को 1.95 डॉलर या 2.86 फीसदी की गिरावट के साथ 66.31 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ. जबकि गुरुवार को मामूली इजाफा देखने को मिल रहा है.

बीते दो कारोबारी दिनों से अमेरिकी तेल 66 डॉलर प्रति बैरल के लेवल पर बना हुआ है. खाड़ी देशों का कच्चा तेल 15 जनवरी के हाई से अब तक करीब 16 फीसदी तक सस्ता हो चुका है. सत्र की शुरुआत में कई वर्षों के निचले स्तर पर पहुंचने के बाद कीमतों में कुछ कमी आई – ब्रेंट गिरकर 68.33 डॉलर पर आ गया, जो दिसंबर 2021 के बाद से इसका सबसे निचला स्तर है, और यूएस क्रूड वायदा 65.22 डॉलर पर पहुंच गया, जो मई 2023 के बाद से इसका सबसे निचला स्तर है.

अमेरिकी रिजर्व में हुआ इजाफा

यूएस वाणिज्य विभाग के प्रमुख हॉवर्ड लुटनिक ने ब्लूमबर्ग टीवी को दिए अपने बयान में कहा कि ट्रम्प कुछ उद्योगों को टैरिफ पर राहत देने के बारे में अंतिम फैसला लेंगे. जिसके बाद से थोड़ी रिकवरी जरूर देखने को मिल रही है. जबकि लुटनिक ने कहा कि कनाडा और मैक्सिको पर लगाया गया 25 फीसदी टैरिफ बना रहेगा, वहीं कनाडा के ऊर्जा इंपोर्ट, जैसे कि कच्चे तेल और गैसोलीन पर 10 फीसदी टैरिफ को समाप्त किया जा सकता है.

अमेरिकी ईआईए ने कहा कि कीमतों में गिरावट के कारण, पिछले सप्ताह अमेरिकी कच्चे तेल के भंडार में अपेक्षा से अधिक वृद्धि हुई, जबकि निर्यात में वृद्धि के कारण गैसोलीन और डिस्टिलेट की सूची में गिरावट आई. ईआईए ने कहा कि सप्ताह में कच्चा तेल रिजर्व 3.6 मिलियन बैरल बढ़कर 433.8 मिलियन बैरल हो गया है. डेटा जारी होने के बाद ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमताें में ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतों में 2 डॉलर की गिरावट देखने को मिली है.

अप्रैल से ओपेक भी बढ़ाएगा रिजर्व

जेपी मॉर्गन की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी जीडीपी ग्रोथ रेट में 100 आधार अंकों की मंदी संभावित रूप से ग्लोबल ऑयल डिमांड में 180,000 बीपीडी की कमी ला सकती है. पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन ओपेक+ और रूस सहित सहयोगियों ने सोमवार को 2022 के बाद पहली बार उत्पादन बढ़ाने का फैसला किया, जिससे कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव पड़ा. ग्रुप अप्रैल से प्रतिदिन 138,000 बैरल की मामूली वृद्धि करेगा, जो ग्लोबल डिमांड के लगभग 6 फीसदी के बराबर, लगभग 6 मिलियन बीपीडी कटौती को समाप्त करने के लिए नियोजित मासिक वृद्धि में पहला कदम है.

मॉर्गन स्टेनली रिसर्च के विश्लेषकों ने कहा कि यह संभव है कि ओपेक+ कटौती को पूरी तरह से समाप्त करने के बजाय केवल कुछ मासिक वृद्धि करेगा. ट्रम्प प्रशासन ने मंगलवार को यह भी कहा कि वह वाशिंगटन द्वारा अमेरिकी तेल उत्पादक शेवरॉन को दिए गए लाइसेंस को समाप्त कर रहा है, जो 2022 से वेनेजुएला में काम करने और अपने तेल का निर्यात करने के लिए नया टैब खोलता है.

पेट्रोल और डीजल हो सकता है सस्ता

इन तमाम घनटाक्रमों के बाद से अप्रैल में कच्चे तेल की कीमतों में और गिरावट देखने को मिल सकती है. संभव है कि दुनिया के उन देशों में पेट्रोल और डीजल सस्ता होने लगे जो अपनी जरूरत का 80 फीसदी से ज्यादा कच्चा तेल इंपोर्ट करें. भारत का नाम आसानी से लिया जा सकता है. जानकारों का मानना है कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आने से डॉलर के मुकाबले में रुपए की वैल्यू में इजाफा होगा. साथ देश का इंपोर्ट बिल भी कम होगा. ऐसे में देश में पेट्रोल और डीजल की कीमत में कटौती देखने को मिल सकती है. जानकारों का कहना है कि अगर अप्रैल महीने में भी खाड़ी देशों का कच्चा तेल 65 और 70 डॉलर के बीच बना हुआ रहता है तो पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 3 से 5 रुपए की कटौती देखने को मिल सकती है.

मार्च 2024 में कम हुए थे दाम

आखिरी बार पेट्रोल और डीजल की कीमत में कटौती मार्च 2024 में देखने को मिली थी. तब पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2 रुपए प्रति लीटर की कटौती की गई थी. खास बात तो ये है कि उस समय देश में लोकसभा चुनाव आने वाले थे. तब से अब तक करीब एक साल हो चुका है. तब से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला है. हाल के दिनों में ऑयचल मिनिस्टर की ओर से जानकारी दी गई थी कि देश 40 से ज्यादा देशों के कच्चा तेल इंपोर्ट कर रहा है. आने वाले दिनों में भारत को कच्चे तेल की सप्लाई को लेकर कोई चिंता की बात नहीं है.

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