नए युद्धपोत, पनडुब्बियां और एयरक्राफ्ट… चीन के बढ़ते रक्षा बजट से भारत के लिए कितना बड़ा खतरा?

चीन ने अपने रक्षा बजट में 7.2% की बढ़ोतरी की घोषणा की है, जिससे उसका कुल सैन्य बजट 1.78 ट्रिलियन युआन (लगभग 245.65 बिलियन डॉलर) तक पहुंच गया है. इस वृद्धि का उद्देश्य न केवल सैन्य आधुनिकीकरण को गति देना है, बल्कि ताइवान, दक्षिण चीन सागर और भारत के साथ लगती सीमाओं पर अपनी सैन्य शक्ति को और मजबूत करना भी है. भारत के लिए यह विकास चिंता का विषय है क्योंकि चीन का बढ़ता सैन्य खर्च सीधे हिमालयी सीमा विवाद, हिंद महासागर क्षेत्र और सामरिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है.

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भारत के लिए मुख्य खतरे

1. सीमा पर बढ़ता सैन्य दबाव

चीन ने पूर्वी लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में पहले ही अपने सैन्य इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया है. 2020 में गलवान संघर्ष के बाद चीन ने सीमा पर हवाई पट्टियों, मिसाइल सिस्टम और सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी थी. रक्षा बजट में वृद्धि से लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर चीन की गतिविधियां और बढ़ सकती हैं, जिससे भारत को सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करनी पड़ेगी.

2. हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ती चीनी उपस्थिति

चीन अपने नौसैनिक बजट में भी भारी निवेश कर रहा है और नए युद्धपोत, पनडुब्बियां और एयरक्राफ्ट कैरियर विकसित कर रहा है. हिंद महासागर में चीन की गतिविधियां भारत के लिए चुनौती बन सकती हैं, क्योंकि चीन श्रीलंका, पाकिस्तान (ग्वादर बंदरगाह) और म्यांमार में अपने नौसैनिक अड्डे विकसित कर रहा है. इससे भारत की समुद्री सुरक्षा और व्यापार मार्गों पर खतरा बढ़ सकता है.

3. पाकिस्तान के साथ बढ़ता सैन्य सहयोग

चीन, पाकिस्तान को भी आधुनिक हथियार, मिसाइलें और लड़ाकू विमान उपलब्ध करा रहा है. पाकिस्तान को मिले JF-17 लड़ाकू विमान, HQ-9 मिसाइल सिस्टम और आधुनिक ड्रोन भारत के लिए सुरक्षा जोखिम बढ़ाते हैं. चीन और पाकिस्तान का गठजोड़ भारतीय सुरक्षा रणनीति के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है.

4. साइबर और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में बढ़त

चीन अपने रक्षा बजट का एक बड़ा हिस्सा साइबर वारफेयर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और स्पेस टेक्नोलॉजी में निवेश कर रहा है. भारत के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे (रेलवे, ऊर्जा ग्रिड, बैंकिंग) पर साइबर हमलों का खतरा बढ़ सकता है.

चीन द्वारा अपने रक्षा बजट में बढ़ोतरी के बाद भारत के लिए भी अपनी सैन्य तैयारियों को और मजबूत करना आवश्यक हो गया है. भारत सरकार ने भी इस साल रक्षा बजट 6.81 लाख करोड़ रुपये तय किया है, जो पिछले साल की तुलना में 6% अधिक है. भारत की यह सैन्य तैयारी चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर उसकी बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए बेहद महत्वपूर्ण हो गई है.

सीमा पर भारत की चीन के खिलाफ तैयारी

1. सीमा पर बुनियादी ढांचे का विकास

भारत अब LAC पर अपने बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए तेज़ी से कार्य कर रहा है. इसमें शामिल हैं:

  • सड़कों और पुलों का निर्माण: चीन की सीमा से लगते क्षेत्रों में तेजी से सड़कें बनाई जा रही हैं, जिससे सैनिकों और हथियारों की तैनाती में तेजी आएगी.
  • एयरस्ट्रिप्स और हेलिपैड: लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में नए एयरबेस और हेलिपैड विकसित किए जा रहे हैं.
  • टनल और सुरंगें: जोजिला और साला पास जैसी प्रमुख टनल का निर्माण हो रहा है ताकि खराब मौसम में भी सैनिकों की मूवमेंट आसान हो.

2. अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती और सैन्य अभ्यास

  • 50,000 से अधिक सैनिकों की तैनाती: लद्दाख में पहले से ही हजारों सैनिक तैनात हैं और जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त बलों की तैनाती की जा सकती है.
  • संयुक्त सैन्य अभ्यास: भारतीय सेना अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ लगातार युद्धाभ्यास कर रही है ताकि चीन की चुनौतियों का सामना करने की रणनीति मजबूत की जा सके.

3. आधुनिक हथियारों की तैनाती

  • राफेल लड़ाकू विमान: भारत ने पहले ही राफेल विमानों की तैनाती लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के एयरबेस पर कर दी है.
  • एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम: रूस से मिले इस एडवांस सिस्टम को भारत ने चीन की सीमा पर तैनात किया है, जिससे हवाई हमलों का जवाब दिया जा सकता है.
  • लाइट टैंक और ड्रोन: चीन की चुनौतियों को देखते हुए भारतीय सेना हल्के टैंकों, हेरॉन और स्वार्म ड्रोन का उपयोग कर रही है.

4. नौसेना की शक्ति में वृद्धि

चीन की बढ़ती समुद्री गतिविधियों को देखते हुए भारतीय नौसेना भी हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति मजबूत कर रही है. इसमें नए युद्धपोत, पनडुब्बियाँ और टोही विमानों की तैनाती की जा रही है.

कैसे रक्षा बजट पुख्ता करेगा भारत की तैयारी?

भारत का 6.81 लाख करोड़ रुपये का रक्षा बजट चीन के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए कई महत्वपूर्ण पहलुओं को कवर करता है.

1. सैन्य आधुनिकीकरण

  • रक्षा बजट में से 1.80 लाख करोड़ रुपये (लगभग 21 बिलियन डॉलर) आधुनिकीकरण के लिए रखे गए हैं. इससे भारतीय सेना नए हथियार, मिसाइलें, विमान और टैंक खरीद सकेगी.

2. स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा

  • ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत स्वदेशी हथियार और रक्षा उपकरणों का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है.
  • भारत अब 99% रक्षा खरीद घरेलू स्रोतों से करने पर ज़ोर दे रहा है, जिससे विदेशी निर्भरता कम होगी.

3. साइबर सुरक्षा और तकनीकी अपग्रेड

  • चीन की साइबर हमलों की क्षमता को देखते हुए, भारत अपने साइबर डिफेंस को मजबूत कर रहा है.
  • AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता), ड्रोन टेक्नोलॉजी और स्पेस डिफेंस सिस्टम को विकसित करने पर भी रक्षा बजट खर्च किया जाएगा.

4. नौसेना और वायुसेना के लिए अतिरिक्त फंडिंग

  • हिंद महासागर में चीन की मौजूदगी को देखते हुए भारतीय नौसेना को नए युद्धपोत और पनडुब्बियों से लैस किया जाएगा.
  • वायुसेना को अधिक राफेल, सुखोई और तेजस विमान मिलेंगे, जिससे हवाई शक्ति बढ़ेगी.

चीन के बढ़ते रक्षा बजट और सीमा पर आक्रामक रुख को देखते हुए भारत भी अपनी तैयारियों को मजबूत कर रहा है. इस साल का रक्षा बजट सेना के आधुनिकीकरण, हथियारों की खरीद, बुनियादी ढांचे के विकास और साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. भारत सरकार का फोकस अब सिर्फ जवाब देने पर नहीं, बल्कि चीन की किसी भी रणनीति का मुकाबला करने के लिए पहले से तैयार रहने पर है. अगर इन तैयारियों को सही दिशा में आगे बढ़ाया गया, तो भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को और अधिक मजबूत बना सकेगा. हालांकि चीन के इस कदम के बाद भारत की क्या रणनीति होनी चाहिए?

चीन का बढ़ता रक्षा बजट भारत के लिए एक रणनीतिक चुनौती पेश करता है. भारत को अपनी सैन्य शक्ति, कूटनीति और तकनीकी क्षमताओं को और मजबूत करना होगा ताकि चीन की आक्रामक नीतियों का सामना किया जा सके. संतुलित और दूरदर्शी रणनीति ही भारत को इस भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में मजबूती से खड़ा रख सकती है.

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