डीडवाना – कुचामन : डीडवाना – कुचामन जिले के नावां क्षेत्र से है जहां सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो ने इलाके की पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा दिए है. बताया जा रहा है कि 6 मिनट से भी ज्यादा अवधि का ये वीडियो नावां थाने के एक पुलिसकर्मी और क्षेत्र में बजरी का कारोबार करने वाले एक शख्स से जुड़ा है. जिसमें पुलिसकर्मी ने जब बजरी के अवैध परिवहन कर ले जाते बजरी से भरे ट्रोले को रुकवाया ,तो बजरी कारोबारी मौके पर पहुंच गया और पुलिसकर्मी को धमकाने लगा.
वीडियो में बजरी कारोबारी , स्थानीय पुलिस पर बजरी पर कार्रवाई नहीं करने की एवज में बंधी लेने के आरोप लगाते हुए , पुलिसकर्मी को धमका रहा है. यही नहीं जब पुलिसकर्मी बजरी के ट्रोले के चालक को रोकने की कोशिश कर रहा है तो ये बजरी कारोबारी यहां तक कहने से भी नही रुक रहा कि आप अगर गाड़ी रोकने के लिए गाड़ी के आगे लेट जाओगे तो गाड़ी आपके ऊपर से निकाल देंगे, लेकिन गाड़ी नहीं रोकेंगे. उसकी दबंगई को साफ बयान कर रहा है.
गौरतलब है कि अवैध बजरी खनन व परिवहन करने वालों पर कार्रवाई नहीं होने से बजरी माफिया के हौसले बुलंद हैं. जानकारों के मुताबिक बजरी माफियाओं का सबसे मनपसंद मार्ग नावां थाना क्षेत्र के बवली-गुढा-खाखड़की के साथ ही मेगा हाइवे बना हुआ है. वीडियो में बजरी कारोबारी साफ कह रहा है कि रोजाना रात में बहुत सी गाड़ियां बजरी की निकलती है और पुलिस उन्हें रोकती नहीं क्योंकि हम सबको सबको रुपए देते है.
सूचना देने के बाद भी नहीं पहुंची पुलिस
इस वायरल वीडियो से जुड़ी एक और जानकारी ये भी सामने आई है कि पुलिस कर्मी ने जब बजरी के ट्रोले को रुकवाया तो उसी समय नावां थाने में फोन कर पुलिस टीम को मौके पर बुलाया था. लेकिन पुलिस टीम मौके पर पहुंची ही नहीं और बजरी कारोबारी के दबाव और धमकी के चलते पुलिसकर्मी को ,उस बजरी के ट्रोले को छोड़ना पड़ा. नावां पुलिस को जानकारी मिलने के बाद भीं मौके पर नहीं पहुंचना कहीं न कहीं बजरी कारोबारी के वीडियो में पुलिस के साथ मिलीभगत की बात को सही साबित करते हुए नजर आती है.
एसपी ने दिए जांच के आदेश
जब मामले की जानकारी जिला पुलिस अधीक्षक हनुमान प्रसाद मीणा को मिली तो उन्होंने त्वरित एक्शन लेते हुए कुचामन एएसपी नेमीचंद को मामले की जांच सौंपी है. बजरी कारोबारी द्वारा पुलिस पर लगाएं आरोपों में कितनी सच्चाई है ये तो जांच के बाद ही पता चलेगा लेकिन सवाल ये है कि जब भी पुलिस के उच्च अधिकारी इस तरह की कोई जांच के आदेश देते है , तो उस जांच में छोटी मछलियां शिकार बन जाती है और बड़े मगरमच्छ हमेशा बच जाते हैं. उम्मीद की जानी चाहिए कि इस बार की जांच में ऐसा नहीं होगा.