उमरिया: पार्वती बैगा की संघर्षपूर्ण यात्रा, आत्मनिर्भरता और राजनीति में पहचान बनाने की प्रेरक कहानी

 

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उमरिया जिले के ग्राम गोरैया की पार्वती बैगा ने यह साबित कर दिया कि संघर्ष और आत्मनिर्भरता से कोई भी महिला अपनी तकदीर खुद लिख सकती है. पति की मृत्यु के बाद जब जीवन अंधकारमय लगने लगा, तब उन्होंने हिम्मत नहीं हारी, बल्कि अपने परिवार को कठिनाइयों से निकालने के लिए आजीविका मिशन का सहारा लिया.

साल 2017 में पार्वती जुहिला आजीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं और 53,000 रुपये का ऋण लेकर एक छोटी सी किराना दुकान खोली. धीरे-धीरे उनका व्यापार बढ़ता गया, और अब वह हर महीने करीब 10,000 रुपये की आय अर्जित कर रही हैं. इसके अलावा, पार्वती ने अपनी आर्थिक स्थिति को और मजबूत करने के लिए कन्या छात्रावास में रसोइया का काम भी शुरू किया.

 

लेकिन उनकी सफलता सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं रही. पार्वती ने राजनीति में भी अपनी पहचान बनाई और गांव की उपसरपंच बनीं. अब वह न सिर्फ अपने घर के फैसले लेती हैं, बल्कि गांव के विकास में भी अहम भूमिका निभा रही हैं.

पार्वती कहती हैं, “अजीविका मिशन से जुड़ने के बाद मेरा जीवन बदल गया.मैं आत्मनिर्भर बनी और समाज में अपनी पहचान स्थापित कर पाई।” उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, जिला प्रशासन और ग्रामीण आजीविका मिशन को धन्यवाद दिया, जिन्होंने उनके जैसे हजारों महिलाओं को सशक्त बनने का अवसर दिया.

 

महिला दिवस पर पार्वती की यह प्रेरक कहानी हर उस महिला के लिए एक मिसाल है, जो कठिनाइयों से हार मानने की बजाय अपने सपनों को साकार करने का हौसला रखती है.

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