बिहार के भागलपुर जिले में बीच सड़क पुलिस दरोगा की गुंडागर्दी देखने को मिली. एनएसजी कमांडो के साथ बिहार पुलिस के दरोगा व होमगार्ड की गुंडागर्दी करते हुए मारपीट की. दरोगा ने एनएसजी कमांडो शुभम पर थप्पड़ बरसाने शुरू कर दिए. कमांडो के मुताबिक, गाड़ी पार्किंग को लेकर हुए मामूली विवाद में दारोगा आगबबूला हो गए और इस कदर अपना तेवर दिखाया कि पहले तो एनएसजी कमांडो को मुक्का मारा फिर थप्पड़ जड़ दिया. जब कमांडो ने खुद को छुड़ाकर वहां से निकला तो दरोगा ने उसे दौड़ कर पकड़ा और जबरन थाना ले गए. थाने में जबरन उन्हें 8 घंटे तक बंद रखा. कमांडो ने थाना में पुलिस वालों के द्वारा उनके साथ मारपीट का भी आरोप लगाया है. उन्होंने गहरे जख्म भी दिखाए हैं.
मामले को लेकर कमांडो शुभम कुमार ने कहा कि मैं दिल्ली में एसईजी 52 में तैनात हूं. हम छुट्टी लेकर भागलपुर आए थे. उन्होंने कहा कि यहां जिला स्कूल के समीप गाड़ी पार्क कर मॉल में शॉपिंग करने गए. इस दौरान रोड पर गाड़ियों की आवाजाही बढ़ी ऐसे में जाम की स्थिति न हो. शुभम अपनी कार हटाने गए. इस बीच जोग्सर थाना की बोलेरो गाड़ी से पुलिस मौके पर पहुंची. दूसरे गाड़ी वाले के साथ गाली गलौज की. जब शुभम अपना वाहन हटा रहे थे तब जोग्सर थाना के दरोगा राहुल ने शुभम से बदतमीजी की उनको थप्पड़ जड़ दिया. गाड़ी से उतर थाना के होमगार्ड ने भी कमांडों पर थप्पड़ मुक्के की बरसात कर दी. पूरा घटनाक्रम सीसीटीवी में कैद हो गया.
NSG कमांडो को 8 घंटे हिरासत में रखा
कमांडो शुभम ने कहा कि दारोगा राहुल उसे गाड़ी में लेकर थाना गए. वहां जब हाजत के पास पहुंच मारने की कोशिश की. एक महिला पुलिसकर्मी ने कहा ऐ जी यहां कैमरा है. उधर ले जाइए, फिर कमरे में ले जाकर मारपीट की. 5 मिनट तक मारा उसके बाद 8 घंटे तक बंद रखा. इतना ही नहीं थाना के दबंग पुलिसकर्मियों ने शुभम के ही खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दिया. पीड़ित लगातार न्याय की गुहार लगा रहा है. पीड़ित जब घटना को लेकर सिटी एसपी के पास पहुंचे तो सिटी एसपी ने कहा कि जो एफआईआर में लिखा है. वह तुम्हारे से एकदम विपरीत है. चाहूं तो अभी के अभी जेल में डाल सकता हूं, लेकिन प्रक्रिया है उसके तहत तुम जाओगे.
क्या है मामला?
घटनास्थल पर लगे सीसीटीवी फुटेज जब सामने आया तो पुलिस की शर्मानाक हरकत सबके सामने आ गई. फुटेज में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि पुलिसकर्मियों ने कैसे कमांडो के साथ मारपीट की है. गाड़ी लगाने को लेकर उनसे विवाद हो गया. मामले में एसएसपी हृदयकांत ने कैमरे पर बोलने से बचते रहे. उन्होंने फोन पर बात करते हुए कहा कि मामले में कुछ फुटेज हाथ लगे हैं. डीएसपी को जांच के लिए आदेश दिए गए हैं. अब सवाल यह है कि क्या सुशासन राज में बिहार पुलिस को किसी को भी थप्पड़ मारने का अधिकार है?