बरेली: पुलिस एनकांउटर में लगी थी गोली, चार दिन में ही सड़ गई टांग; डॉक्टरों ने ऐसे बचाई जान

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में पुलिस की कड़ी कार्रवाई के तहत हाफ एनकाउंटर की एक घटना में बदमाश शेर सिंह उर्फ शेरा का मामला फिर से चर्चा में आ गया है. फतेहगंज पश्चिमी पुलिस ने कैंट थाना क्षेत्र के बारीनंगला में 4 मार्च को हाफ एनकाउंटर के दौरान इस बदमाश पर गोली चलाई थी. पुलिस ने उसकी दाहिने पैर में गोली मार दी, जिससे उसकी हालत बिगड़ गई. जल्द ही अस्पताल में भर्ती कराए गए शेर सिंह का पैर में इन्फेक्शन फैल गया और उसे निजी अस्पताल में ऑपरेशन के दौरान पैर काटना पड़ा.

यूपी पुलिस ने बदमाशों पर कहर बरपाने के लिए हाफ एनकाउंटर की कार्रवाई तेज कर दी है. हर शहर से एनकाउंटर की खबरें आ रही हैं, जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि पुलिस न सिर्फ अपराध को रोकने में जुटी है. साथ ही बल्कि तुरंत कार्रवाई कर अपराधियों को कड़ी सजा देने का भी संकल्प रखती है. बरेली पुलिस भी इस दिशा में पीछे नहीं है. शेर सिंह उर्फ शेरा का मामला पहले से ही गंभीरता से दर्ज है.

जनता का मिल रहा सहयोग
शेर सिंह के खिलाफ गैंगस्टर समेत कुल 18 गंभीर आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं. इन मुकदमों में लूट, डकैती, हत्या के प्रयास, गैंगस्टर, और आर्म्स एक्ट के तहत केस शामिल हैं. 2016 में तो वह एक पंजीकृत लूट गैंग का लीडर भी रह चुका है. पुलिस ने इस बदमाश के खिलाफ 25 फरवरी को एसएसपी अनुराग आर्य द्वारा 25 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया था. इस इनाम के कारण पुलिस के भरोसे के साथ-साथ जनता का भी सहयोग मिल रहा है, जिससे अपराध पर अंकुश लगाने में तेजी आ रही है.

की जा रही है हर संभव कार्रवाई

हाफ एनकाउंटर के दौरान बदमाश शेरा को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन उसका साथी राहुल शर्मा उर्फ टीनू मौके से फरार हो गया. राहुल शर्मा का संबंध छोटी बाजार खलीलपुर थाना, सीबीगंज से बताया जा रहा है. फरार होने के बाद से पुलिस लगातार उसकी तलाश में जुटी हुई है और हर संभव कदम उठा रही है ताकि उसे भी जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जा सके. हाफ एनकाउंटर का मुख्य उद्देश्य अपराधियों को मौका न देते हुए सीधे कार्रवाई करना है. इस प्रक्रिया में कभी-कभी ऐसे मामले भी सामने आ जाते हैं, जहां गिरफ्तारी के दौरान घायल हुए अपराधी की चिकित्सा में देरी से समस्या बढ़ जाती है.

अस्पताल में कराया गया भर्ती

शेर सिंह के मामले में भी ऐसा ही हुआ. सिंह को सबसे पहले उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया जहाँ संक्रमण बढ़ता गया. ऐसे में स्थिति की गंभीरता को देखते हुए उसे निजी अस्पताल में स्थानांतरित किया गया, लेकिन वहां भी हालत में सुधार न हो पाने के कारण उसका प्रभावित पैर काटना पड़ा. इस घटना ने न केवल पुलिस की तेज कार्रवाई को उजागर किया है. बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अपराधियों को मौका नहीं दिया जाएगा. बरेली की जनता में भी पुलिस की इस सख्त नीति के प्रति समर्थन देखने को मिल रहा है. कई स्थानीय नागरिक इस बात से खुश हैं कि पुलिस ने अपराधियों पर तुरंत वार किया और समाज में अपराध की रोकथाम के लिए सख्त कदम उठाए.

चार दिन में ही सड़ गई टांग

पुलिस का मानना है कि ऐसे कदम से न केवल अपराध में कमी आएगी, बल्कि अपराधी यह संदेश भी समझ जाएंगे कि अब इनकी कोई जगह नहीं है. हालांकि, कुछ नागरिकों का मानना है कि हाफ एनकाउंटर जैसी कार्रवाइयों में मानवीय पहलू पर भी ध्यान देना चाहिए, जिससे घायल अपराधी को उचित चिकित्सा सुविधा और न्यूनतम दर्द सहने का मौका मिल सके.

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