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सो रहा था मरीज, शरीर पर घूम रहे थे चूहे, पेशेंट के हर सामान की ली ‘तलाशी’

मध्यप्रदेश के मंडला जिला अस्पताल में मोहन सरकार की अव्यवस्थाओं की पोल खोलता एक वीडियो सामने आया है, जिसमें अस्पताल के बच्चा वार्ड में दर्जनों चूहे मरीजों के बेड पर घूमते नजर आ रहे हैं. यह वीडियो मरीज के परिजनों ने बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल किया, जिससे अस्पताल प्रशासन की लापरवाही उजागर हो गई.

वायरल वीडियो में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि चूहे मरीजों के ऊपर चढ़ रहे हैं, उनके बेड के आसपास घूम रहे हैं और पूरे वार्ड में आतंक मचाए हुए हैं. इतना ही नहीं, ये चूहे खाने-पीने के सामान, दवाइयों और यहां तक कि मरीजों को भी कुतर रहे हैं. कई बार तो यह चूहे छोटे-छोटे बच्चों को भी कुतर देते हैं, जिसके चलते परिजनों को भी डर बना रहता है. मरीजों के परिजनों ने इस घटना से नाराज होकर अस्पताल प्रशासन से चूहों के आतंक से छुटकारा दिलाने की मांग की.

पहले भी कई वीडियो आ चुके हैं सामने

यह पहला मामला नहीं है जब इस तरह की घटना सामने आई है , इससे पहले भी कई बार जिला अस्पताल से इस तरह की वीडियो सामने आ चुके हैं. पूरे मामले पर जिला अस्पताल के सिविल सर्जन विजय धुर्वे ने बयान जारी कर कहा कि समय-समय पर पेस्ट कंट्रोल कराया जाता है, लेकिन इसके बावजूद चूहों की समस्या सामने आ रही है. उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही इस समस्या का समाधान किया जाएगा और मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी.

मामले पर जताई कड़ी नाराजगी

मध्य प्रदेश सरकार की कैबिनेट मंत्री संपतिया उइके ने इस मामले पर कड़ी नाराजगी जताई. उन्होंने इसे गंभीर लापरवाही करार देते हुए कहा कि इस तरह की घटनाएं बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएंगी. मंत्री ने कहा, “इस पूरे मामले की जांच के लिए कमेटी बनाई जाएगी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.”

समस्या का समाधान करने की मांग

मरीजों के परिजनों का कहना है कि अस्पताल में साफ-सफाई की व्यवस्था दयनीय है. मरीज पहले से ही बीमार होते हैं और ऐसे में चूहों का आतंक उनके स्वास्थ्य को और अधिक नुकसान पहुंचा सकता है. उन्होंने प्रशासन से तुरंत इस समस्या का समाधान करने की मांग की. मंडला जिला अस्पताल में चूहों का आतंक स्वास्थ्य सुविधाओं की गंभीर स्थिति को दर्शाता है. मरीजों की सुरक्षा को देखते हुए जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने की जरूरत है. सरकार ने जांच का आश्वासन दिया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या इस बार सुधार होगा, या फिर यह मामला भी सिर्फ जांच तक ही सीमित रह जाएगा?

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