Left Banner
Right Banner

शादी के बाद BJP सांसद तेजस्वी सूर्या ने ‘गुलदस्ते’ को कहा ‘राष्ट्रीय बर्बादी’, भड़के फूल विक्रेता

भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बेंगलुरु साउथ सीट से लोकसभा सांसद तेजस्वी सूर्या ने पिछले दिनों कर्नाटक शास्त्रीय संगीत गायिका शिवश्री स्कंदप्रसाद के साथ विवाह के बंधन में बंध गए. वह अब सोमवार को वेडिंग रिसेप्शन दे रहे हैं, लेकिन उन्होंने यहां आने वाले लोगों से यह अनुरोध किया कि ‘फूलों के गुलदस्तों’ को लेकर न आएं क्योंकि यह ‘राष्ट्रीय बर्बादी’ है, हालांकि फूल विक्रेताओं ने इस पर आपत्ति जताई है.

विवाह वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पारंपरिक तरीके से तेजस्वी सूर्या और शिवश्री स्कंदप्रसाद का विवाद 6 मार्च को संपन्न हुआ. लेकिन उनके रिसेप्शन से पहले साउथ इंडिया फ्लोरीकल्चर एसोसिएशन (South India Floriculture Association) ने आज रविवार को बीजेपी सांसद सूर्या से अनुरोध किया कि वे ‘फूलों के गुलदस्ते’ को ‘राष्ट्रीय बर्बादी’ बताने वाले अपने हाल के बयान को वापस लें.

सूर्या ने ‘गुलदस्ता’ लाने से किया था मना

तेजस्वी सूर्या ने सोमवार (10 मार्च) को अपने रिसेप्शन में जनता को आमंत्रित किया. साथ ही फेसबुक और यूट्यूब लाइव के जरिए आम जनता को अपने न्योते में लोगों से ‘फूलों के गुलदस्ते’ (Flower Bouquets) लाने से परहेज करने का अनुरोध किया, और उन्हें ‘राष्ट्रीय बर्बादी’ कहा.

साउथ इंडिया फ्लोरीकल्चर एसोसिएशन के अध्यक्ष टीएम अरविंद ने इस बात पर जोर दिया कि एक जिम्मेदार नेता की ऐसी टिप्पणी बहुत ही “अनुचित” है और “उन लाखों किसानों की कड़ी मेहनत को कमजोर करती है जो अपनी आजीविका के लिए फूलों की खेती पर निर्भर हैं.”

कर्नाटक में 38 हजार हेक्टेयर में खेती

एसोसिएशन के अनुसार, कर्नाटक में फूलों की खेती 38,000 हेक्टेयर में की जाती है, जिसमें 1,500 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में व्यावसायिक फूलों की फसलें उगाई जाती हैं. राज्य में गुलाब, गुलदाउदी (Chrysanthemums), गेंदा, चमेली और कनकंबरम (Kanakambaram) समेत कई तरह के फूल उगाए जाते हैं, साथ ही ग्रीनहाउस और पॉलीहाउस में उगाए जाने वाले गेरबेरा (Gerberas), एंथुरियम (Anthuriums) और ऑर्किड (Orchids) जैसे व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण कटे हुए फूल भी उगाए जाते हैं.

अरविंद ने आगे बताया, “इस क्षेत्र से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 11 लाख लोगों का रोजगार जुड़ा हुआ है, जबकि 2.8 लाख एकड़ में फूलों की खेती 52 लाख से अधिक लोगों को आजीविका देती है.” उन्होंने कहा कि कृत्रिम फूलों से प्रतिस्पर्धा और अस्थिर बाजार मूल्यों जैसी चुनौतियों के बावजूद, किसान प्राकृतिक फूलों के उपयोग को बढ़ाने की वकालत करना जारी रखते हैं.

बयान आजीविका को खतरे में डालताः अरविंद

तेजस्वी सूर्या के बयान के उलट अरविंद ने यह भी बताया कि चिक्कबल्लापुरा से बीजेपी सांसद के सुधाकर ने हाल ही में संसद में इस बात का खुलासा किया था कि चिक्कबल्लापुरा क्षेत्र में 25 हजार एकड़ क्षेत्र में फूलों की खेती की जाती है और उन्होंने उद्योग को समर्थन देने के लिए एक फ्लोरीकल्चर बोर्ड की स्थापना का प्रस्ताव भी रखा.

उन्होंने आगे जोर देकर कहा कि फूलों का हिंदू परंपराओं में शुरू से ही गहरा सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रहा है, जिसमें फूलों को चढ़ाना पीढ़ियों से एक पूजनीय प्रथा रही है. उन्होंने यह भी दावा किया, “महंगे गिफ्ट देने से बचना समझ में आता है, लेकिन ‘फूलों के गुलदस्ते’ को ‘राष्ट्रीय बर्बादी’ के रूप में बताया जाना करना किसानों के कोशिशों की उपेक्षा करने जैसा है और उनकी आजीविका को ख

तरे में भी डालता है.”

Advertisements
Advertisement