मैहर में कबाड़ के नाम पर काला कारोबार? चोरी और अवैध धंधे पर प्रशासन मौन

मैहर : जिला के बदेरा थाना अंतर्गत भदनपुर में कबाड़ दुकानों की संख्या में हो रही बेतहाशा वृद्धि अब जनता के लिए सिरदर्द बनती जा रही है लेकिन शासकीय तंत्र के लिए यह मानो रोजमर्रा की बात हो. स्थानीय लोग चोरी और अवैध गतिविधियों को लेकर आपत्ति जता रहे हैं, मगर जिम्मेदारों का मौन उनके कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहा है.

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अब सवाल यह है कि क्या कानूनी अनुमति और पंजीकरण की जांच की मांग करना अपराध हो गया है? क्या चोरी के सामान पर निगरानी रखने की मांग करना अब इतना बड़ा गुनाह है कि प्रशासन कान में तेल डालकर बैठ जाए? या फिर अपराध रोकने के बजाय केवल महीने में एक बार कबाड़ दुकानदारों की “हाजिरी” लगवाना ही पुलिस का नया मॉडल बन गया है?

छोटी दुकान है साहब!

जब भी किसी वरिष्ठ अधिकारी को शिकायत की जाती है, तो जवाब आता है— “छोटी-मोटी दुकानें हैं, ऐसा कुछ नहीं हो रहा.” अब प्रशासन को कौन समझाए कि बड़ी चोरी के लिए बड़ी दुकान की जरूरत नहीं होती, बल्कि “बड़े संरक्षण” की जरूरत होती है. अगर पास के उद्योगों में हुई चोरी की निष्पक्ष जांच कराई जाए, तो साफ हो जाएगा कि भदनपुर में कबाड़ की दुकानों की संख्या क्यों तेजी से बढ़ रही है.

लेकिन शायद यह जांच इसलिए नहीं होगी क्योंकि हकीकत सामने आ गई तो कई चेहरों पर से नकाब हट जाएंगे.
लोकतंत्र में सवाल पूछना अपराध तो नहीं
स्थानीय लोग परेशान हैं, शिकायत कर रहे हैं, मगर सुनवाई नहीं हो रही. क्या अब अपराध और अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग करना खुद एक अपराध बन चुका है,अगर हां, तो फिर कानून की किताबों को भी कबाड़ में बेच देना चाहिए.

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