बिहार सरकार का ऐसा विभाग, जहां विज्ञापन देने के बाद भी नहीं आया जॉब के लिए आवेदन

सरकारी नौकरी को लेकर लोगों का रूझान अलग रहता है. ज्यादातर लोगों की कोशिश यही होती है कि वह चाहे किसी भी तरह सरकारी नौकरी को पा लें. इसमें कुछ सफल भी होते हैं और कुछ असफल. आमतौर पर यह भी देखा जाता है कि नौकरी को लेकर जॉब वैकेंसी निकलती है तो सीटों से ज्यादा आवेदन ही चले आते हैं, लेकिन बिहार में एक अलग मामला सामने आया है. दरअसल, बिहार सरकार की तरफ से सरकारी नौकरी के लिए आवेदन मांगा गया था, लेकिन मजेदार बात यह कि इस पद के लिए सरकार के पास एक भी आवेदन नहीं आया.

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दरअसल, बिहार विधान मंडल के बजट सत्र में यह दिलचस्प तथ्य राज्य सरकार के हेल्थ विभाग में सामने आया है. मंगलवार को आरजेडी के विधान पार्षद अब्दुल बारी सिद्दीकी ने एक समाचार पत्र में छपी खबर के आधार पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री से यह जानकारी मांगी थी कि क्या किसी भी अंग में कैंसर के फैलाव का पता लगाने वाली पेट सीटी जांच मशीन के लिए डॉक्टर नहीं है? इस पर सरकार स्थिति स्पष्ट करे.

बेकार पड़ी है मशीन

अब्दुल बारी सिद्दीकी का यह सवाल था कि शरीर में कहीं कैंसर या गांठ है या नहीं? कैंसर का फैलाव कितना है? उसकी स्थिति क्या है? शरीर में कहां-कहां गांठ है? ब्रेन, हार्ट और किडनी का फंक्शन ठीक है या नहीं? इसका पता लगाने के लिए पेइटी पॉजिट्रॉन इमीशन टोपोग्राफी सीटी मिशन की जरूरत होती है? न्यूक्लियर मेडिसिन डॉक्टर के नहीं रहने के कारण यह मशीन राजधानी के आईजीआईएमएस में पिछले नौ महीने से बेकार पड़ी हुई है. इस मशीन के बेकार पड़े होने का रीजन डॉक्टर का नहीं होना है? इस पर सरकार स्थिति को स्पष्ट करे.

सरकार ने कही यह बात

इस प्रश्न के जवाब में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने बिहार विधान परिषद में कहा कि पेट सीटी मशीन के संचालन के लिए न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग में डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान की तरफ से विज्ञापन प्रकाशित किया गया था. उस विज्ञापन के निकल जाने के बाद तय तारीख तक सहायक प्राध्यापक, न्यूक्लियर मेडिसिन का कोई आवेदन प्राप्त ही नहीं हुआ. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अब पुनः विज्ञापन प्रकाशित करने की प्रक्रिया की जा रही है. इसके बाद जब आवेदन आएगा, तब डॉक्टर की नियुक्ति कर दी जाएगी.

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