ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में इस बार धुलेंडी व रंगपंचमी पर केवल परंपरा निभाई जाएगी। पुजारी भगवान महाकाल को प्रतीकात्मक हर्बल गुलाल तथा एक लोटा केसर से बना रंग अर्पित कर सकेंगे। यह निर्णय मंगलवार को कलेक्टर नीरज कुमार सिंह की अध्यक्षता में हुई मंदिर प्रबंध समिति की बैठक में लिया गया।
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समिति ने रंगोत्सव के नाम पर रंग गुलाल के अत्यधिक प्रयोग पर रोक लगाते हुए नंदी, गणेश व कार्तिकेय मंडपम सहित परिसर में होली खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
पिछले साल गुलाल में लग गई थी आग
- महाकाल मंदिर में बीते कुछ सालों से रंगोत्सव के नाम पर जमकर गुलाल के गुबार व रंगों की बौछार की जाती थी। गत वर्ष धुलेंडी पर केमिकल युक्त गुलाल के अत्यधिक प्रयोग से गर्भगृह में आग लग गई थी।
- इस दुर्घटना में पुजारी, पुरोहित व सेवक सहित कई लोग घायल हो गए थे। इनमें से एक सेवक की उपचार के दौरान मौत भी हो गई थी। इस बार इस घटना से सबक लेते हुए मंदिर समिति ने रंग गुलाल के उपयोग पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा दिया है।
- धुलेंडी व रंगपंचमी पर भगवान महाकाल को केवल प्रतीकात्मक हर्बल गुलाल व एक लोटा रंग अर्पित किया जाएगा। इस दिन सुरक्षा की अतिरिक्त व्यवस्था रहेगी। किसी को कलर लेकर मंदिर में आने की अनुमति नहीं है।
होली पर कैसी रहेगी व्यवस्था
- होली के दिन भस्म आरती, संध्या आरती तथा शयन आरती में भगवान को प्रतीकात्मक रूप से शुद्ध व हर्बल गुलाल अर्पित किया जाएगा।
- रंगपंचमी के दिन पुजारी भगवान महाकाल को केवल एक लोटा केसर से बना रंग अर्पित कर सकेंगे।
- मंदिर प्रबंध समिति परंपरा के निर्वहन के लिए भस्म आरती करने वाले पुजारी व शासकीय पुजारी को हर्बल गुलाल व केसर का रंग उपलब्ध कराएगी।
- धुलेंडी, रंगपंचमी दोनों दिन नंदी, गणेश व कार्तिकेय मंडपम के साथ संपूर्ण परिसर में होली खेलने पर प्रतिबंध रहेगा।
- पुजारी, पुरोहित,कर्मचारी व भक्त अपने साथ रंग व गुलाल लेकर मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकेंगे।
- प्रवेश द्वारों पर तैनात सुरक्षाकर्मी कड़ी जांच पड़ताल के बाद भी उक्त सभी व्यक्तियों को प्रवेश देंगे।
- धुलेंडी व रंगपंचमी पर पूरे समय चप्पे-चप्पे पर कैमरों से निगरानी रखी जाएगी।
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