कोरबा: शहर में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के दौरान बड़े पैमाने पर कचरा निकलता है. इसमें सूखा और गीला कचरा को अलग किया जाता है. सूखा कचरे से निकलने वाले विभिन्न सामान जैसे प्लास्टिक, पॉलिथिन को सेग्रिगेट किया जाता है. जबकि गीला कचरे को दूसरे तरीके से नष्ट किया जाता है. अब इसी गीला कचरा से नगर निगम कंप्रेस्ड बायोगैस बनाने की तैयारी कर रहा है.
गीला कचरा से कंप्रेस्ड बायोगैस बनाने के लिए नगर निगम क्षेत्र में एक यूनिट का निर्माण किया जाना है. लगभग 10 एकड़ जमीन पर यह महत्वाकांक्षी परियोजना आकर लेगी.
कंप्रेस्ड बायोगैस क्या है: कंप्रेस्ड बायोगैस, संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) एक अक्षय ईंधन है. ये बायो गैस कृषि अवशेषों, गोबर, और गीला कचरा से बनाया जाता है. इसका उपयोग गाड़ियों, उद्योगों में सीएनजी के विकल्प के रूप में किया जा सकता है. केंद्र सरकार ने ही कंप्रेस्ड बायोगैस को बढ़ावा देने की रणनीति बनाई है. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने जैव ईंधन के क्षेत्र में 2030 तक देश भर में 20 फीसदी को ग्रोथ का टारगेट रखा था, लेकिन अब इसे 2025 कर दिया गया है. देशभर में इस तरह के गैस को तैयार करने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं. यह एक तरह का अत्यंत ज्वलनशील पदार्थ होता है.
बायोगैस पैदा करने में 60 प्रतिशत मीथेन, 40 से 45% तक कार्बन डाइऑक्साइड और हाइड्रोजन सल्फाइड भी होता है. विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद अंत में जो बायोगैस मिलता है इसमें मीथेन की मात्रा 90 फीसदी होती है. बायोगैस से कई तरह के फायदे हैं. इसे ऑटोमेटिक फ्यूल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.
शहर से रोजाना 50 टन गीला कचरा : कोरबा नगर निगम क्षेत्र में के 67 वार्डो से रोजाना लगभग 30 से 50 टन गीला कचरा निकलता है. कंप्रेस्ड बायोगैस इकाई में इसी गीला कचरा को डाला जाएगा जिससे कंप्रेस्ड बायोगैस का निर्माण किया जाएगा.
बरबसपुर में लगेगा CBG यूनिट: कंप्रेस्ड बायोगैस यूनिट लगाने के लिए नगर निगम ने जगह का चयन कर लिया है. बरबसपुर स्थित निगम के डंपिंग यार्ड में से 10 एकड़ जमीन कंप्रेस्ड बायोगैस उत्पादन इकाई लगाने के लिए चिन्हित किया गया है. निगम की ओर से इस जमीन का आवंटन भी कर दिया गया है.
गेल इंडिया लिमिटेड करेगा यूनिट का निर्माण: कोरबा नगर निगम आयुक्त आशुतोष पांडे ने बताया कि यूनिट का निर्माण नवरत्न कंपनी गैस इंडिया लिमिटेड(GAIL) गेल इंडिया की ओर से किया जाएगा. इसके लिए छत्तीसगढ़ बायो फ्यूल विकास प्राधिकरण, नगर निगम और गेल इंडिया के बीच 17 जनवरी को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की उपस्थिति में एक त्रिपक्षीय एमओयू हुआ था. इस एमओयू को धरातल में उतारने की तैयारी पूरी कर ली गई है और जल्द ही कंप्रेस्ड बायोगैस यूनिट लगाने का काम बरबसपुर में शुरू किया जाएगा. गेल को 17 लख रुपए के लीज रेंट पर 10 एकड़ के भूमि उपलब्ध कराई जा रही है. उम्मीद है कि अप्रैल से गेल इंडिया बायोगैस यूनिट लगाने का काम कोरबा में शुरू करेगी.
बरबसपुर में लगेगा CBG यूनिट: कंप्रेस्ड बायोगैस यूनिट लगाने के लिए नगर निगम ने जगह का चयन कर लिया है. बरबसपुर स्थित निगम के डंपिंग यार्ड में से 10 एकड़ जमीन कंप्रेस्ड बायोगैस उत्पादन इकाई लगाने के लिए चिन्हित किया गया है. निगम की ओर से इस जमीन का आवंटन भी कर दिया गया है.
गेल इंडिया लिमिटेड करेगा यूनिट का निर्माण: कोरबा नगर निगम आयुक्त आशुतोष पांडे ने बताया कि यूनिट का निर्माण नवरत्न कंपनी गैस इंडिया लिमिटेड(GAIL) गेल इंडिया की ओर से किया जाएगा. इसके लिए छत्तीसगढ़ बायो फ्यूल विकास प्राधिकरण, नगर निगम और गेल इंडिया के बीच 17 जनवरी को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की उपस्थिति में एक त्रिपक्षीय एमओयू हुआ था. इस एमओयू को धरातल में उतारने की तैयारी पूरी कर ली गई है और जल्द ही कंप्रेस्ड बायोगैस यूनिट लगाने का काम बरबसपुर में शुरू किया जाएगा. गेल को 17 लख रुपए के लीज रेंट पर 10 एकड़ के भूमि उपलब्ध कराई जा रही है. उम्मीद है कि अप्रैल से गेल इंडिया बायोगैस यूनिट लगाने का काम कोरबा में शुरू करेगी.
पर्यावरण को साफ सुथरा बनाना है मुख्य मकसद : इस योजना का मकसद पर्यावरण को साफ-सुथरा बनाने के साथ-साथ रोजगार में वृद्धि करने की है. गीला कचरा का निष्पादन कंप्रेस्ड बायोगैस में होने के कारण पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा. साथ ही यूनिट को चलाने के लिए तकनीकी कर्मचारियों की जरूरत होगी. कचरा पहुंचाने और सेग्रिगेशन करने में भी मानव संसाधन का इस्तेमाल होगा. इससे रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे. कोरबा नगर निगम में यह कंप्रेस्ड बायोगैस यूनिट का संचालन होता है तो इससे शहर को न सिर्फ शहर का साफ-सुथरा रखने में मदद मिलेगी, बल्कि नेट जीरो मिशन के लक्ष्य को पाने में भी आसानी होगी.
मिलेगा ऊर्जा का एक और स्रोत : कंप्रेस्ड बायोगैस उत्पादन में न सिर्फ शहर से निकलने वाली गीले कचरे का इस्तेमाल किया जा सकेगा, बल्कि धान के पैरा के इस्तेमाल से भी बायोगैस बनाया जा सकेगी. अब निकाय चुनाव भी खत्म हो चुका है और नगर निगम के काम एक बार फिर सुचारू रूप से संचालित होने लगे हैं.
इस स्थिति में यूनिट निर्माण का कार्य जल्द शुरू होना प्रस्तावित है. बायोगैस के उत्पादन में मदद मिलेगी और इससे ऊर्जा संबंधी जरूरतों की पूर्ति होगी. इस परियोजना पर लगभग 100 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है. शुरुआती दौर में नगर निगम सिर्फ अपने वार्डों से गीला कचरा को ही बायोगैस यूनिट में भेजेगा.
पवार प्लांट को जोड़ने की योजना : इस महत्वकांशी योजना में आगे चलकर बायोगैस इकाई से एनटीपीसी, बालको, एसईसीएल और राज्य की बिजली उत्पादन कंपनी को भी जोड़ने की तैयारी है. ताकि यहां से निकलने वाला कचरा भी कंप्रेस्ड बायोगैस यूनिट में भेजा जा सके.