उच्च शिक्षा के लिए दर-दर भटक रहे सीधी के छात्र, सरकार कब सुनेगी आवाज?

सीधी : मध्यप्रदेश का सीधी जिला, जहां आदिवासी बाहुल्य आबादी और आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लोग निवास करते हैं, वहां उच्च शिक्षा के अभाव ने एक गंभीर समस्या खड़ी कर दी है. जिले के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा के लिए अन्य जिलों या राज्यों का रुख करना पड़ता है, जिससे न केवल समय की बर्बादी होती है बल्कि आर्थिक बोझ भी बढ़ जाता है.

कई छात्र इस बोझ को सहन न कर पाने के कारण या तो अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ देते हैं या फिर अपनी रुचि के विपरीत विषय लेकर पढ़ाई करने के लिए मजबूर हो जाते हैं.

 

इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए सीधी मांगे विश्वविद्यालय अभियान के संयोजक इंद्रलाल के नेतृत्व में पिछले पांच वर्षों से लगातार सीधी जिले में एक विश्वविद्यालय की मांग की जा रही है. इस अभियान ने अब ज़ोर पकड़ लिया है और यह मुद्दा जिले के युवाओं के भविष्य से जुड़कर एक बड़े आंदोलन का रूप ले रहा है.

 

स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार “सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास” की नीति के तहत काम कर रही है, लेकिन आज़ादी के 75 साल बीत जाने के बावजूद सीधी जिले में उच्च शिक्षा का स्तर चिंताजनक है. यहां के छात्रों को उनके घर के पास ही एक विश्वविद्यालय की सुविधा मिलनी चाहिए ताकि आर्थिक और सामाजिक बाधाओं के बावजूद वे अपने सपनों को साकार कर सकें.

 

इस आंदोलन को लेकर जिले में अब एकजुटता बढ़ रही है और लोग उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द ही सरकार इस गंभीर मुद्दे पर ठोस कदम उठाएगी.

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