West Bengal: 350 साल बाद दलित समुदाय को मिला गिद्धेश्वर शिव मंदिर में पूजा का अधिकार, 130 परिवारों पर लगी थी रोक 

पश्चिम बंगाल में तीन सौ पचास साल बाद गिद्धेश्वर शिव मंदिर में दलित समुदाय के लोगों ने पूजा की. प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद गांव के निचली जाति के दास समुदाय को मंदिर में प्रवेश और पूजा का अधिकार मिला. गांव में सामाजिक भेदभाव के कारण दास समुदाय को मंदिर में पूजा करने से वंचित रखा गया था. इस साल शिवरात्रि पर जब उन्होंने मंदिर में पूजा करने की इच्छा जताई, तो विरोध हुआ और माहौल तनावपूर्ण हो गया.

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दासपाड़ा के 130 परिवारों ने प्रशासन से शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद कटवा एसडीओ, बीडीओ और पुलिस प्रशासन ने हस्तक्षेप किया. 7 मार्च को जब पुलिस सुरक्षा में कुछ लोगों को मंदिर ले जाया गया, तो उच्च जाति के ग्रामीणों ने विरोध किया और उन्हें भगा दिया. इससे गांव में झड़प और तनाव की स्थिति पैदा हो गई। हालांकि, प्रशासन ने हस्तक्षेप कर शांति स्थापित की.

गिद्धेश्वर शिव मंदिर में दलित समुदाय के लोगों ने पूजा की

11 मार्च को प्रशासनिक बैठक में फैसला हुआ कि सभी को समान रूप से पूजा करने का अधिकार मिलेगा. इसके बाद 12 मार्च को पुलिस बल की मौजूदगी में दास समुदाय के पांच लोगों ने मंदिर में घंटी बजाकर और फूल-फल चढ़ाकर शिवजी की पूजा की.

मंदिर समिति और ग्रामीणों के एक वर्ग ने परंपरा बदलने का विरोध किया था. लेकिन प्रशासन ने साफ कर दिया कि संविधान सभी को समान अधिकार देता है. अब गिद्धेश्वर मंदिर में सभी जातियों के लोग पूजा कर सकेंगे.

दास समुदाय के लोगों के लोगों के लिए ऐतिहासिक दिन

दास समुदाय के लोगों ने इसे अपने लिए ऐतिहासिक दिन बताया और कहा कि अब वे भी सम्मान के साथ शिवजी की पूजा कर सकते हैं. वहीं, प्रशासन ने मंदिर के बाहर पुलिस तैनात कर दी है ताकि माहौल शांत बना रहे.

 

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