इन दिनों गाजियाबाद का GST डिप्टी कमिश्नर संजय सिंह सुसाइड केस खूब चर्चा में है. सोमवार को संजय ने हाईराइज सोसायटी की 15वीं मंजिल से कूदकर जान दे दी थी. परिवार का आरोप है कि विभाग द्वारा अतिरिक्त काम का प्रेशर और प्रताड़ना के चलते संजय ने सुसाइड किया है. उनकी मौत के बाद अब बड़ी खबर सामने आई है. राज्य कर विभाग के 800 अधिकारियों ने अनुचित दबाव और तनावपूर्ण हालात का हवाला देते हुए स्टेट टैक्स व्हाट्सएप ग्रुप छोड़ दिया है.
इस ग्रुप में 900 अधिकारी जुड़े थे. इस ग्रुप के जरिए अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए जाते थे. राज्य कर के अधिकारियों के तीन संघों ने तय किया है की मुख्य सचिव से मुलाकात कर उन्हें विभाग की समस्याओं को अवगत कराया जाएगा. उत्तर प्रदेश राज्य का अधिकारी सेवा संघ के अध्यक्ष दिव्येन्द शेखर गौतम महासचिव सुशील गौतम सहित पूरी कार्यकारिणी ने उपायुक्त संजय सिंह के निधन पर शोक जताया. कहा कि कई बार उच्च अधिकारियों से अनुरोध किया गया. लेकिन विभाग की समस्याएं जस की तस हैं.
जीएसटी ऑफीसर सर्विस एसोसिएशन के अध्यक्ष ज्योति स्वरूप शुक्ला व महासचिव अरुण सिंह और उत्तर प्रदेश वाणिज्य कर अधिकारी संघ में बैठक कर समस्याओं पर चर्चा की संगठनों ने फैसला किया कि कोई भी सदस्य स्टेट टैक्स ग्रुप का हिस्सा नहीं रहेगा. सभी लोग कला फीता बंधकर काम करेंगे.
डिप्टी कमिश्नर संजय की मौत को लेकर तमाम बातें सामने आ रही हैं. इस बीच संजय के परिवार से बात की. कई अहम जानकारियों परिवार ने संजय को लेकर दीं. साथ ही ये भी साफ किया कि वो विभाग की प्रातड़ना से ही तंग थे.
एक साल बाद थी रिटायरमेंट
संजय के बड़े भाई धनंजय सिंह ने बताया- एक साल बाद संजय की रिटायरमेंट थी. संजय को एक साल से डिप्रेशन जरूर था. लेकिन वो विभाग में उच्च स्तर पर जो काम का अतिरिक्त भार सौंपा जा रहा था, उस वजह से डिप्रेशन में थे. हमारा मानना है कि विभाग में प्रताड़ना का स्तर इतना बढ़ा दिया गया है कि कोई भी स्वतंत्र विवेक से इस विभाग में काम कर ही नहीं पा रहा है. रोज काम में इतना हस्तक्षेप किया जाता है कि यहां कर्मचारी स्वतंत्र तरीके से काम कर ही नहीं सकते. सिर्फ संजय ही नहीं, विभाग के अन्य कर्मचारी भी प्रताड़ना से जूझ रहे हैं.
कैंसर ने नहीं था डिप्रेस
उन्होंने बताया- कैंसर से डिप्रेशन की बात बिल्कल गलत है. हमारे पास उनकी मेडिकल रिपोर्ट है, जो कि 14 नवंबर 2024 की है. वो इस बीमारी से बाहर निकल चुके थे. रिपोर्ट में भी साफ है कि वो ठीक हो चुके थे. तो फिर संजय कैसे कैंसर की वजह से डिप्रेशन में जा सकता है? ऐसी बातें करके बस विभाग के उन अधिकारियों को बचाने की एक कोशिश है, जिनसे संजय परेशान था. मेरा भाई ऐसा इंसान नहीं था कि इतनी सी बात के लिए अपनी जान दे दे. वो तो बेहद शांत स्वभाव का था. उसे इस हद तक विभाग में प्रताड़ित किया गया कि उसने अपनी जान ही दे दी. हम चाहते हैं कि इस केस की उच्च स्तर पर जांच हो. तभी सच सबके सामने आएगा.