समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी को मुंबई की एक अदालत ने साक्षात्कारों के दौरान संयम बरतने की चेतावनी दी है, क्योंकि उनके जैसे वरिष्ठ राजनेता द्वारा दिया गया कोई भी गैर-जिम्मेदाराना बयान दंगे भड़का सकता है. औरंगजेब पर टिप्पणी को लेकर अदालत ने आजमी को फटकार लगाई, साक्षात्कारों के दौरान संयम बरतने की चेतावनी दी.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वी जी रघुवंशी ने मुगल शासक औरंगजेब की प्रशंसा करने वाली टिप्पणी के लिए सपा विधायक के खिलाफ दायर मामले में आजमी को अग्रिम जमानत देते हुए फटकार लगाई.
अदालत ने आदेश में कहा, जिसकी एक प्रति गुरुवार को उपलब्ध कराई गई, यह अपराध एक साक्षात्कार के दौरान दिए गए कुछ बयानों से संबंधित है और इसका मतलब है कि पुलिस को किसी भी वस्तु को जब्त करने या पूछताछ के लिए हिरासत की आवश्यकता नहीं है. न्यायाधीश ने कहा कि यह उनके पक्ष में विवेक का प्रयोग करने के लिए उपयुक्त मामला है.
अदालत ने इंटरव्यू में संयम बरतने की दी सलाह
अदालत ने कहा, “आदेश जारी करने से पहले मैं आवेदक को सावधान करना चाहूंगा कि वह मौजूदा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए साक्षात्कार देते समय संयम बरते. कोई भी गैरजिम्मेदाराना बयान दंगे भड़का सकता है और कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा कर सकता है.”
अदालत ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि एक वरिष्ठ राजनेता होने के नाते आवेदक अपनी जिम्मेदारी समझेगा.” महानगर के मानखुर्द-शिवाजी नगर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले विधायक के खिलाफ पिछले सप्ताह भारतीय न्याय संहिता के तहत मध्यकालीन युग के मुगल सम्राट की प्रशंसा करने वाली उनकी टिप्पणी को लेकर मामला दर्ज किया गया था.
समाजवादी पार्टी की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष आजमी ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि औरंगजेब के शासनकाल के दौरान भारत की सीमाएं अफगानिस्तान और बर्मा तक पहुंचती थीं. विपक्षी विधायक ने दावा किया था, “हमारा जीडीपी 24 प्रतिशत था और भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था.”
औरंगजेब पर आजमी के बयान से विवाद
औरंगजेब और मराठा योद्धा राजा छत्रपति संभाजी महाराज के बीच लड़ाई के बारे में पूछे जाने पर आजमी ने इसे राजनीतिक लड़ाई बताया था. यह टिप्पणी छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित ब्लॉकबस्टर हिंदी फिल्म छावा की पृष्ठभूमि में की गई थी, जिन्हें 1689 में औरंगजेब के कमांडर ने पकड़ लिया था. छत्रपति संभाजी महाराज और उनके पिता, महान मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराष्ट्र में अत्यधिक पूजनीय व्यक्ति हैं.
अग्रिम जमानत की मांग करते हुए आजमी, जिन्हें 26 मार्च तक महाराष्ट्र विधानसभा से निलंबित कर दिया गया है, ने अदालत में प्रस्तुत किया कि उनके बयान प्रेस को किसी भी व्यक्ति का अपमान करने या किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के किसी भी पूर्व नियोजित इरादे के बिना दिए गए थे.
आजमी के वकील मुबीन सोलकर ने अदालत के समक्ष कहा कि एफआईआर में सपा विधायक के खिलाफ किसी भी अपराध का खुलासा नहीं किया गया है.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कही ये बात
सोलकर ने तर्क दिया था, आरोपों से यह नहीं पता चलता है कि उन्होंने जानबूझकर और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से बयान दिए थे. अभियोजन पक्ष ने उनकी याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि फिल्म रिलीज होने के बाद लोगों की धार्मिक भावनाएं भड़क जाती हैं और ऐसी परिस्थितियों में आवेदक ने अपने साक्षात्कार में विवादास्पद बयान दिए.
दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने कहा कि जांच अभी प्राथमिक चरण में है और इसलिए आवेदक द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा
इसके अलावा, न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें यह सुनकर आश्चर्य हुआ कि जांच अधिकारी के पास आज तक कथित साक्षात्कार की वीडियो रिकॉर्डिंग नहीं थी और उन्होंने इसे देखे बिना ही अपराध दर्ज कर लिया.