इटावा: जसवंत नगर तहसील क्षेत्र के नगला केहरी गांव में होली का त्योहार आज भी अपनी परंपरागत रौनक के साथ मनाया जा रहा है। आधुनिकता के इस दौर में जहां कई पुरानी परंपराएं लुप्त होती जा रही हैं, वहीं नगला केहरी के लोगों ने अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संजोकर रखा है। यहां आज भी लोग फाग गायन के माध्यम से एक-दूसरे को होली की शुभकामनाएं दे रहे हैं.
फाग गायन, होली के त्योहार का एक अभिन्न अंग है, जिसमें लोकगीतों के माध्यम से राधा-कृष्ण के प्रेम और होली के उल्लास का वर्णन किया जाता है। नगला केहरी में भी यह परंपरा पूरे उत्साह के साथ निभाई जा रही है। ढोलक और मंजीरों की थाप पर लोग फाग के मधुर गीत गा रहे हैं और एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर बधाइयां दे रहे हैं।
इस फाग गायन में ढोलक वादक राम शंकर यादव और गायक वानासुर यादव ,रामबरन सिंह,संतकुमार,राजू यादव,कई अन्य स्थानीय कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। उनके गीतों और धुनों ने माहौल को और भी रंगीन और जीवंत बना दिया है.
गांव के बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक, सभी इस परंपरा का आनंद ले रहे हैं और इसे आगे बढ़ाने का संकल्प ले रहे हैं।
नगला केहरी, नगला भगवंत, नगला आशा, नगला केशो के लोगों का यह प्रयास दर्शाता है कि वे अपनी सांस्कृतिक विरासत के प्रति कितने जागरूक हैं। उन्होंने न केवल इस परंपरा को जीवित रखा है, बल्कि इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने का भी काम किया है। इन चारों गांव में फाग गायन के बाद अष्टमी के दिन सती माता के मंदिर पर जाकर होली का विराम किया जाता है। ऐसे आयोजनों से न केवल लोगों को मनोरंजन मिलता है, बल्कि उन्हें अपनी संस्कृति और इतिहास से भी जुड़ने का मौका मिलता है.