लखीमपुर खीरी में अनोखी परंपरा: होली पर 41 साल बाद दूल्हे संग लौटी दुल्हन, इस बार भैंसे से नहीं… कार से गए थे मिश्राजी

लखीमपुर खीरी : जिले के ईसानगर क्षेत्र के नरगड़ा गांव में 41 साल बाद आखिर इस बार होली पर दुल्हन दूल्हे के साथ लौट आई. इससे पहले अब तक 40 बार दूल्हा बिना दुल्हन के लौट चुका है. इस बार दूल्हे का कार से बरात लेकर आना हुआ तो दुल्हन उसके साथ खुशी-खुशी विदा हो गई. वैसे बीते 40 वर्षों से वह भैंसे पर बैठकर दुल्हन को विदा कराने जाता था.असल में यह असली बरात नहीं बल्कि होली पर होने वाला एक स्वांग है, जो 41 वर्षों से परंपरागत तरीके से शाहजहांपुर के लाट साहब की तर्ज पर मनाया जाता है.

 

शाहजहांपुर के लाट साहब की तरह लखीमपुर खीरी जिले की धौरहरा तहसील के ईसानगर ब्लॉक की ग्राम पंचायत नरगड़ा गांव में होली पर एक स्वांग होता है. इसमें गांव के विशम्भर दयाल मिश्रा दूल्हा बन बरात लेकर गांव में ही अपनी ससुराल जाते हैं. असली बारात की तरह द्वारचार, अगवानी, मंगलाचार सहित वर पूजन के बाद फेरे भी होते हैं, लेकिन विदाई के समय दुल्हन, दूल्हे के साथ नहीं जाती. इसकी वजह दूल्हे की सवारी भैंसा होना होता है.

इस बार कार से गया दूल्हा

इस तरह दूल्हे को 40 बार बिना दुल्हन के बैरंग लौटना पड़ा. इस बार दूल्हे ने अपनी सवारी बदली और आधुनिक दूल्हे की तरह दुल्हन को विदा कराने कार से बरात लेकर पहुंचे. तो दुल्हन मोहनी भी विवाह के बाद आखिर 40 साल बाद विदा हो गई. बता दें होली पर इस गांव में यह स्वांग परंपरागत तरीके से मनाया जाता है. स्वांग के मुख्य पात्र विश्वभर मिश्रा और उनकी पत्नी मोहनी हैं.

 

41 वर्षो से चल रही परंपरा 

होली के 10 दिन पहले मोहनी को उसके मायके नरगड़ा गांव भेजा जाता है. होली के दिन दूल्हा बनकर विश्वम्भर मिश्रा गाजे बाजे के साथ बरात लेकर अपनी ससुराल पहुंचते हैं. इस स्वांग को देखने के लिए पूरे ईसानगर क्षेत्र के लोग इकट्ठा होते हैं। यह परंपरा 41 वर्षों से हर साल होली पर होती है.

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