मिर्ज़ापुर : यूपी-एमपी सीमा पर स्थित जंगल में लगी आग का कहर दूसरे दिन भी जारी रहा है. आग बुझाने में वन विभाग के अधिकारियों को पसीने छूट रहे हैं घने जंगल, तेज हवाएं और सूखें पत्ते आग को आगे बढ़ाने में सहायक बन रहें हैं.
दरअसल, मिर्जापुर जिले के आखरी छोर पर स्थित ड्रमंडगंज वन रेंज के बंजारी कलां वन क्षेत्र के कंपार्टमेंट नंबर चार व पांच के जंगल में शुक्रवार की शाम को अज्ञात कारणों से आग लग गई. ग्रामीणों ने जंगल में आग देखी तो फौरन आग लगने की सूचना रात में ही वन विभाग को दे दी थी, लेकिन रात होने का बहाना बना कोई भी जिम्मेदार मौके पर पहुंचने की जहमत नहीं उठाया था. दूसरे दिन शनिवार को दिन में 11.00 बजे के करीब वन दरोगा अभिषेक, वनरक्षक सर्वेश्वर पटेल वन विभाग की टीम के साथ बंजारी जंगल पहुंचे और आग बुझाने में जुट गए. ग्रामीणों के मुताबिक आग की चपेट में आने से पूरी रात जंगल के हरे भरे पेड़ बांस, पलाश, तेंदू, सलई, अर्जुन आदि जलकर राख हो गए हैं.
तेज़ हवाओं से स्थिति बिगड़ी, जंगल में दो किमी तक फैली आग
तेज हवाओं के चलते पहाड़ पर लगी आग जंगल में तेजी से फैलती जा रही है. आग करीब दो किलोमीटर के दायरे में जगह-जगह पहाड़ के जंगलों में फैल चुकी है. बंजारी जंगल में लगी आग की लपटे रात में ग्रामीणों को दूर से ही दिखाई दे रही थी. आग से लगभग दो किलोमीटर के दायरे में जगह-जगह वन क्षेत्र के पेड़-पौधे और बेशकीमती जड़ी-बूटियां जलकर राख हो चुकी है. आग की चपेट में आने से जंगल में रहने वाले जंगली जानवर मौत के मुंह में समा रहे हैं. इस संबंध में वन क्षेत्राधिकारी ड्रमंडगंज वीके तिवारी ने बताया कि बंजारी जंगल में लगी आग को वन विभाग की टीम के साथ बुझाया जा रहा है. तेज़ हवाओं के चलते आग को बुझाने में टीम को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. टीम द्वारा जंगल में जगह-जगह फायर कट कर और पेड़ की टहनियों से आग को बुझाने का तेजी से प्रयास किया जा रहा है. जंगल में लगी आग पर जल्द ही काबू पा लिया जाएगा.
जंगल में आग पर काबू पाने के नहीं हैं ठोस उपाय
मिर्ज़ापुर जिले का ड्रमंडगंज वन रेंज प्रयागराज जनपद की सीमा से लगे होने के साथ मध्य-प्रदेश के जंगलों से भी लगा हुआ है. यहां बेशकीमती पेड़ों के अलावा जड़ी-बूटियों के पेड़-पौधे भी पाएं जाते हैं. इसी प्रकार दुर्लभ वन्य जीवों का भी इन जंगलों में बसेरा है. प्रति वर्ष जंगल में आग लगने से बेशकीमती पेड़ों, जड़ी-बूटियों के साथ ही वन्य जीवों का जीवन भी समाप्त होता हुआ आया है, बावजूद इसके आग रोकने के अभी तक कोई ठोस जतन नहीं किए जा सकें है. वर्षों से ऐनकेन-प्रकारेण एक पद स्थान पर कुंडली मारकर बैठे ज़िम्मेदार मुलाज़िम जवाबदेही से बचते हुए बस टका सा जवाब देकर कि आग बुझाने का प्रयास किया जा रहा है कहकर बचते हुए आएं हैं.