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धनवासी गांव में परिया तोड़ होली का उत्सव बनी परंपरा,कई वर्षों से निभा रहे ग्रामीण

डिंडोरी : होली त्यौहार पूरे भारत देश सहित मध्यप्रदेश में भी धूमधाम से मनाया जा रहा हैं। इसी कड़ी में मप्र के आदिवासी जिला डिंडोरी के अमरपुर ब्लाक के धनवासी गांव में होली की मस्ती में अनूठी परंपरा के चलते चार चांद लग जाते हैं. इसका कारण है कि यहां पर अनोखे ढंग से होली के त्यौहार को मनाया जाता है.

यहां मनाई जाने वाली होली को देखने के लिए अब आसपास के इलाके के लोग भी इकठ्ठा होने लगे हैं. गांव के बीच बस्ती में एक लकड़ी को चिकना कर दिया जाता है और इसमें जले हुए तेल को लगाकर इसकी चिकनाई और भी बढा दी जाती है. जिसके बाद शुरू होती है होली की मस्ती, और इस चिकने खम्भे में बारी-बारी से महिला पुरूष चढते हैं और लकड़ी के ऊपरी हिस्से पर बंधी गुड़ की पोटली निकालने का प्रयास करते हैं.

इस दौरान दूसरा पक्ष रंग गुलाल डालकर लकड़ी में चढऩे से रोकता है, गांव में इस तरह होली का एक अलग ही रंग आनंद का रंग देखने को मिलता है. धनवासी गांव के चौक पर मण्डली मस्ती में फाग की धुनों पर थिरकती है.

गांव के बुजुर्गों की मानें तो ये पूरा आयोजन त्यौहार को सामूहिक रूप में मनाने के लिये किया जाता है। जो लगभग पिछले पचास सालों से चला आ रहा है. धुरेड़ी के दूसरे दिन यहां पर इस तरह का अनूठा आयोजन किया जाता है ग्रामीणों के अनुसार होली में नशे का प्रचलन अधिक है, लेकिन इस तरह एक परंपरा विकसित हो जाने से अब यहां पर युवा वर्ग इन आयोजनों में शामिल होने के लिये गांव आ जाता है और नशे की लत से भी दूर रहता है.

इसके अलावा महिला और पुरूषों को समान रूप से अवसर दिया जाता है ताकि महिलाएं भी अपने आपको किसी तरह से कम न समझें.

परिया तोड़ होली के इस आयोजन में महिलाओं का प्रतिनिधित्व करने वाली गांव की युवतियों को काफी खुशी है कि वह पुरूषों से मुकाबला कर पाती है. साथ ही गांव की होली में उन्हें पूरा आनंद मिलता है. अन्य गांवों में जहां महिलाओं का होली में निकलना दूभर होता है.

वहीं इस गांव में महिलाएं पुरूषों से मुकाबला करती हैं और साबित करती हैं कि किसी भी मायने में वो पुरूषों से कम नहीं हैं बल्कि लगातार आयोजन में जीतने वाली युवती तो खुद को पुरूषों से बेहतर मानती हैं.

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