प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ विस्तृत बातचीत में नेतृत्व, शासन और भारत की प्रगति पर चर्चा की. हालांकि, लगभग तीन घंटे की चर्चा में फ्रिडमैन ने सीधे पीएम मोदी से 2002 के गुजरात दंगों के बारे में सवाल किया. फ्रिडमैन ने कहा कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने दो बार पीएम मोदी को हिंसा में किसी भी तरह की संलिप्तता से मुक्त कर दिया था, लेकिन पूछा कि मोदी उस अवधि से क्या सबक लिया?
पीएम मोदी ने कहा कि मैं 2002 और गुजरात के दंगे से पहले का एक 12-15 महीने का चित्र पेश करना चाहूंगा, जिससे यह अंदाज लग जाए कि क्या स्थिति थी? 24 दिसंबर, 1999. यानि तीन साल पहले की बात है. काठमांडू से दिल्ली से विमान आ रही थी. उसे हाईजैक कर कंधार, अफगानिस्तान ले जाया गया और भारत के सैंकड़ों यात्रियों को बंदी बनाया गया. लोगों की जिंदगी और मौत का सवाल था.
उन्होंने कहा कि 2000 में लाल किला पर आतंकी हमला हुआ. 11 सितंबर, 2001 अमेरिका में ट्विन टॉवर पर हमला हुआ. उसने एक बार फिर दुनिया को चिंतित कर दिया. करने वाले एक ही तरह के लोग हैं. जम्मू-कश्मीर विधानसभा पर आतंकी हमला हुआ. 13 दिसंबर, 2001 पर भारत के संसद पर आतंकी हमला हुआ. आठ-दस महीने की वैश्विक स्तर की घटनाएं देखिए. आतंकी घटनाएं, निर्दोष लोगों की हत्या. तो कोई भी अशांति के लिए एक चिंगारी काफी होती है. स्थिति पैदा हो चुकी थी.
विधायक बने तीन दिन हुए थे, गोधरा की घटना घट गई…
उन्होंने कहा कि ऐसे समय अचानक 7 अक्टूबर, 2001 मुझे सीएम बनने का दायित्व मिला. वह भी मेरी सबसे बड़ी जिम्मेदारी थी. भूकंप के लिए बहुत बड़ा काम था. हजारों लोग मारे गए थे. सीएम के काम मेरे जिम्मे आ गए. शपथ लेने के बाद पहले दिन से जुड़ गया था. कभी सरकार नाम से मेरा रिश्ता नहीं था. सरकार क्या होती है, जानता नहीं था. कभी विधायक नहीं बना था. कभी चुनाव नहीं लड़ा था. 24 फरवरी, 2002 में पहली बार विधायक बना और मैं पहली बार 24 तारीख को या गुजरात विधानसभा में पैर रखा.
उन्होंने कहा कि 27 फरवरी, 2002 विधानसभा में बजट सत्र था. उसी दिन मुझे विधायक बने तीन दिन हुए थे और गोधरा की घटना हो गयी. भयंकर घटना थी. लोगों को जिंदा जला दिया गया. कंधार पर विमान अपहरण, संसद में हमला और बैंक ग्राउंड में इतने बड़ी संख्या में लोगों को जिंदा देना.. कितनी बड़ी घटना थी. कुछ भी नहीं हो. सभी यही चाहते हैं. शांति बनी रहे. बहुत बड़ा दंगा है. भ्रम फैलाया गया है.
2002 से पहले गुजरात में हुए 250 दंगे
उन्होंने कहा कि पहले का आंकड़ा देखें तो गुजरात में कितने दंगे होते थे. कहीं न कहीं कर्फ्यू लगा रहता था. पतंग को लेकर कम्युनल वॉलेंस होता था. 2002 से पहले गुजरात में 250 से ज्यादा बड़े दंगे हुए थे. और 1969 में दंगे छह महीने चले थे.
उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी घटना स्पार्किंग प्वाइंट बना. हिंसा न्यायालय में विस्तार में देखा था. हमारे विरोध के लोग सरकार में थे. वे चाहते थे कि सजा हो जाए. उनके लाखों कोशिश के बाद भी विश्लेषण किया. पूरी तरह से निर्दोष बताया.. जिन लोगों ने गुनाह किया था. न्यायालय ने काम किया.
उन्होंने कहा कि जिस गुजरात में साल में दंगे हुआ करते थे. 2002 के बाद गुजरात में 20-25 साल में कोई दंगा नहीं हुआ. पूरी तरह से शांति है. प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी सरकार वोट बैंक की राजनीति नहीं करती बल्कि “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास” के सिद्धांत पर चलती है. उन्होंने इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला कि दंगों के बाद लोगों ने उनकी छवि खराब करने की कोशिश की लेकिन आखिरकार न्याय की जीत हुई और अदालत ने उन्हें निर्दोष करार दिया.