वॉकिंग निमोनिया क्या है? जानें क्यों बच्चों के लिए हो सकता है खतरनाक..

बदलते मौसम में सर्दी-जुकाम और खांसी होना आम बात है, लेकिन कई बार ये छोटी-छोटी परेशानियां बड़ी बीमारी का रूप ले लेती हैं. वॉकिंग निमोनिया भी ऐसी ही एक बीमारी है, जो देखने में मामूली लगती है, लेकिन बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है. यह एक फेफड़ों का संक्रमण है, जो धीरे-धीरे असर करता है और शुरुआत में आम सर्दी-जुकाम जैसा ही लगता है. इस वजह से माता-पिता इसे गंभीरता से नहीं लेते और बीमारी बढ़ जाती है.

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वॉकिंग निमोनिया एक हल्का फेफड़ों का संक्रमण है, जो मायकोप्लाज्मा न्यूमोनिए नाम के बैक्टीरिया से फैलता है. इसे “वॉकिंग” इसलिए कहा जाता है क्योंकि इससे पीड़ित व्यक्ति ज्यादा गंभीर रूप से बीमार नहीं लगता और सामान्य दिनचर्या कर सकता है, लेकिन बच्चों में यह तेजी से फैल सकता है और समय पर इलाज न मिलने पर खतरनाक भी हो सकता है. यह बीमारी स्कूलों, डे-केयर और भीड़भाड़ वाली जगहों पर जल्दी फैलती है. डॉक्टर कहते हैं कि अगर इन जगहों पर जाते हैं तो मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन जरूर करें.

बच्चों के लिए क्यों खतरनाक है?

बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बड़ों की तुलना में कमजोर होती है, जिससे वे जल्दी संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं. इसके अलावा, वॉकिंग निमोनिया के लक्षण आम सर्दी-जुकाम जैसे होते हैं, जिससे माता-पिता इसे नजरअंदाज कर देते हैं और इलाज में देरी हो जाती है. अगर समय पर सही ध्यान न दिया जाए, तो यह बीमारी फेफड़ों को ज्यादा प्रभावित कर सकती है और बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है. इस दौरान बच्चे मुंह खोलकर सांस लेते हैं. खासकर ठंड के मौसम में यह बीमारी तेजी से फैलती है, इसलिए बच्चों पर ध्यान देना हर माता पिता का फर्ज है

क्या होते हैं लक्षण ?

वॉकिंग निमोनिया के लक्षण शुरुआत में हल्के होते हैं, लेकिन धीरे-धीरे बढ़ सकते हैं. बच्चों में इस बीमारी के कुछ खास लक्षण हो सकते हैं. जैसे हल्का या तेज बुखार, लगातार सूखी खांसी, गले में खराश और सिरदर्द, कमजोरी और थकान, छाती में हल्का दर्द, सांस लेने में हल्की तकलीफ अगर बच्चे को लगातार खांसी बनी रहे या सांस लेने में दिक्कत हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

कैसे करें बीमारी से बचाव

वॉकिंग निमोनिया से बचाव के लिए सबसे जरूरी है साफ-सफाई और अच्छी आदतें. बच्चों को हाथ धोने की आदत डालनी चाहिए, खासकर खाने से पहले और बाहर से आने के बाद. ठंडी हवा, धूल और धुएं से बचाव करना जरूरी है, क्योंकि यह संक्रमण इन्हीं वजहों से ज्यादा फैलता है. इसके अलावा बच्चे को पौष्टिक खाना खिलाएं ताकि उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनी रहे. अगर मौसम ठंडा हो, तो उन्हें गर्म कपड़े पहनाएं और अधिक भीड़भाड़ वाली जगहों पर ले जाने से बचें. अगर बच्चा बीमार पड़ जाए, तो उसे पर्याप्त आराम देना चाहिए और घर पर ही रखना चाहिए, ताकि संक्रमण दूसरों तक न फैले. डॉक्टर से दिखाकर बच्चे को दवा चलाएं.

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