विदेश मंत्री जयशंकर का पाकिस्तान पर निशाना, ‘जोखिम भरा देश होने के लिए बड़ा होने की जरूरत नहीं’

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रायसीना डायलॉग के दूसरे दिन बिना नाम लिए पाकिस्तान पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने पाकिस्तान के लिए Risky Country (जोखिम भरा देश) शब्द का इस्तेमाल करते हुए कहा है कि जरूरी नहीं कि अगर कोई देश छोटा हो तो वो जोखिम भरा नहीं हो सकता. जोखिम भरा देश होने के लिए बड़ा होने की जरूरत नहीं है.

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रायसीना डायलॉग भू-राजनीति पर वैश्विक चर्चा के लिए भारत का अहम कॉन्फ्रेंस है जिसमें 125 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं. तीन दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन विदेश मंत्री जयशंकर ने कई मुद्दों पर बात की जिसमें उन्होंने वैश्विक व्यवस्था और रिस्की देशों से दुनिया को होने वाले खतरों पर बात की. जयशंकर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था दुनिया के लिए उसी तरह जरूरी है जैसे कि किसी देश के लिए घरेलू व्यवस्था.

रिस्की देश होने के लिए आपको छोटा-बड़ा होने की जरूरत नहीं

जयशंकर ने कहा कि अगर दुनिया में अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था नहीं होगी तो कई तरह के खतरे पैदा हो जाएंगे. उन्होंने कहा, ‘अगर कोई वैश्विक व्यवस्था नहीं रहेगी तो सिर्फ बड़े देशों को ही फायदा नहीं होगा बल्कि जो देश अतिवादी रुख अपनाएगा, वो अव्यवस्था को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करेगा.’

इसके बाद उन्होंने साफ कहा कि एक “जोखिम भरा” देश होने के लिए, किसी को बड़ा देश होने की जरूरत नहीं है. उनका इशारा पाकिस्तान की तरफ था जिसे लेकर भारत का कहना है कि वो घटते संसाधनों के बावजूद आतंकवाद को स्पॉन्सर करना जारी रखे हुए है. विदेश मंत्री ने कहा कि वर्तमान अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में विसंगतियां है जिसका हिसाब-किताब होना जरूरी है. इसे समझाने के लिए उन्होंने पाकिस्तान की आक्रामकता का उदाहरण भी दिया.

उन्होंने कहा, ‘दूसरे विश्व व्यवस्था के बाद, किसी दूसरे देश का सबसे लंबे समय तक अवैध कब्जा कश्मीर में देखा गया. जब हम इसे लेकर संयुक्त राष्ट्र गए, तो आक्रमण को विवाद में बदल दिया गया. हमलावर और पीड़ित को बराबर रखा गया.’

पश्चिमी देशों पर जयशंकर का निशाना

पाकिस्तान को टार्गेट करते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि ब्रिटेन, कनाडा, बेल्जियम, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका सभी दोषी हैं. विदेश मंत्री ने कहा, ‘आज हम राजनीतिक हस्तक्षेप की बात करते हैं. पश्चिमी देश दूसरे देशों के बारे में कहते हैं कि वहां लोकतंत्र खतरे में है, लेकिन जब हम उनके यहां के लोकतंत्र की बात करते हैं तो वो कहते हैं कि यह गलत भावना से किया गया हस्तक्षेप है. वैश्विक व्यवस्था का हिसाब-किताब करना बेहद जरूरी है.’

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