अमेरिका ने कितनी की USAID के जरिए मदद? भारत ने मांगी पूरी डिटेल

केंद्र सरकार ने अमेरिकी दूतावास से पिछले 10 सालों में भारत में यूएसएआईडी की ओर से मिली सहायता या वित्तपोषित सभी प्रोजेक्ट पर किए गए खर्च की डिटेल तुरंत देने के लिए कहा है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने पिछले सप्ताह एक लिखित प्रश्न के उत्तर में राज्यसभा में बताया कि उसने उन गैर सरकारी संगठनों (NGO) के बारे में भी जानकारी मांगी है जिनके जरिए से तमाम पहलों को चलाया गया हो सकता है.

हालांकि, विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने अपने जवाब में कहा कि अमेरिकी की ओर से अभी तक इस तरह के डिटेल उपलब्ध नहीं कराई गई है. वे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस आरोप के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे कि यूएसएआईडी ने भारत के चुनावों में मतदान बढ़ाने के लिए 21 मिलियन डॉलर खर्च किए हैं. सरकार ने पहले कहा था कि भारतीय एजेंसियां ​​इस मुद्दे की जांच कर रही हैं. उन्होंने कहा, ‘हालांकि इस मामले पर कुछ ओपन-सोर्स जानकारी उपलब्ध है, लेकिन सरकार को इस मामले पर अमेरिकी सरकार से आधिकारिक प्रतिक्रिया की उम्मीद है.’

लाभार्थी व्यक्तियों और संगठनों के बारे में सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी को भी कुछ मामलों में संशोधन किया गया है, जो कि जाहिर तौर पर यूएस विदेशी सहायता पारदर्शिता और जवाबदेही अधिनियम 2016 में उल्लिखित अपवादों के अनुरूप है. उस कानून के मुताबिक, असाधारण संशोधन में ऐसी जानकारी शामिल है जो कार्यक्रम लाभार्थी के स्वास्थ्य या सुरक्षा को खतरे में डाल सकती है. मंत्री ने कहा कि एक अन्य औचित्य यह है कि ऑनलाइन जानकारी यूएस के राष्ट्रीय हितों के लिए हानिकारक होगी.

टैरिफ पर क्या दिया सरकार ने जवाब?

टैरिफ पर ट्रंप की टिप्पणी से भारत-अमेरिका संबंधों पर असर पड़ने से रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में मंत्री ने कहा कि दोनों पक्ष व्यापार और टैरिफ के मुद्दे सहित चिंता के सभी मुद्दों को रचनात्मक तरीके से हल करने के लिए लगे हुए हैं. सिंह ने कहा कि 13 फरवरी को मोदी की वाशिंगटन डीसी की यात्रा ने दोनों नेताओं को भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी की मजबूती की पुष्टि करने का अवसर दिया, जो आपसी विश्वास, साझा हितों, सद्भावना और अपने नागरिकों की मजबूत भागीदारी पर आधारित है.

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