बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस ने बड़ा सियासी दांव खेलते हुए प्रदेश अध्यक्ष पद पर बदलाव किया है. भूमिहार समुदाय से आने वाले अखिलेश प्रसाद सिंह की जगह दलित समुदाय के नेता राजेश कुमार को बिहार कांग्रेस का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. यह बदलाव पार्टी के सामाजिक समीकरणों को साधने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.
दलित कार्ड खेलने की रणनीति
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
राजेश कुमार वर्तमान में बिहार के कुटुंबा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक हैं और उनकी पहचान दलित समाज के एक सशक्त नेता के रूप में होती है. कांग्रेस ने यह निर्णय ऐसे समय में लिया है जब राज्य में जातीय समीकरण काफी प्रभावी भूमिका निभा रहे हैं. कांग्रेस के इस कदम को दलित मतदाताओं को साधने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.
अखिलेश प्रसाद सिंह की नाराजगी बनी वजह?
सूत्रों के मुताबिक, बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह और पार्टी के प्रदेश प्रभारी के बीच पिछले कुछ महीनों से मतभेद चल रहे थे. हाल ही में कांग्रेस की यात्रा को लेकर भी अखिलेश सिंह ने नाराजगी जाहिर की थी. इसके अलावा संगठन में समन्वय की कमी और गुटबाजी की शिकायतें भी सामने आई थीं, जिसके चलते पार्टी हाईकमान ने प्रदेश अध्यक्ष बदलने का फैसला किया.
राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं राजेश कुमार
भक्त चरणदास पूर्व में कांग्रेस के प्रभारी थे. उन्होंने राजेश कुमार को अखिलेश प्रसाद सिंह से पहले कांग्रेस अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव भेजा था. लेकिन तब कई वजहों से अखिलेश प्रसाद सिंह को नेतृत्व दे दिया गया था. अखिलेश प्रसाद सिंह लालू यादव के करीबी माने जाते हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस का प्रदर्शन बिहार में भले ही जो भी रहा हो, लेकिन जिस तरह उन्होंने अपने बेटे को टिकट दिलाया और राजद से सीट हासिल की, इसके लिए उनकी आलोचना भी हुई थी.
राजनीतिक समीकरणों पर असर
राजेश कुमार को नेतृत्व दिए जाने का संकेत माना जा सकता है कि कांग्रेस बिहार में अपने बूते दलित राजनीति को आगे बढ़ाना चाहती है. इस बदलाव के बाद अब कांग्रेस, राजद के साथ सीट शेयरिंग में नेतृत्व की चुनौती देती नजर आएगी. यह कदम बिहार में महागठबंधन की राजनीति को भी प्रभावित कर सकता है.