मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता 32 गुना बढ़ी है. भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सौर ऊर्जा उत्पादक देश बन गया है. उन्होंने वर्ष 2030 तक कुल नवकरणीय ऊर्जा उत्पादन 500 गीगावाट तक करने का लक्ष्य तय किया है. प्रधानमंत्री मोदी के विजन को साकार करने मध्यप्रदेश सौर ऊर्जा के क्षेत्र में नया इतिहास रच रहा है.
उन्होंने कहा कि प्रदेश की नवकरणीय ऊर्जा क्षमता पिछले एक दशक में 14 गुना से अधिक बढ़ी है. राज्य सरकार की ठोस नीतियां, निवेश अनुकूल माहौल और तकनीकी नवाचार इसे सूर्य देव का वरद प्रदेश बना रहे हैं. जीआईएस-भोपाल में मध्यप्रदेश की टेक्नोलॉजी एग्नोस्टिक रिन्यूएबल एनर्जी पॉलिसी के कारण नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में भारी निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
राज्य में अक्षय ऊर्जा उत्पादन को गति
सीएम यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश वर्तमान में करीब 31,000 मेगावाट की विद्युत उत्पादन क्षमता रखता है, जिसमें से 30% हरित ऊर्जा है. मध्यप्रदेश सरकार नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में 5,21,279 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित कर रही है, जिससे 1,46,592 नौकरियाँ सृजित होंगी. जीआईएस-भोपाल में नवकरणीय ऊर्जा सेक्टर में अवाडा एनर्जी, एमकेसी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, एक्सिस एनर्जी वेंचर, एनएसएल रिन्यूएबल पॉवर प्राइवेट लिमिटेड, टोरेंट पॉवर और जिंदल इंडिया रिन्यूएबल एनर्जी जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों ने निवेश प्रस्ताव दिए हैं. इस निवेश से राज्य में अक्षय ऊर्जा उत्पादन को गति मिलेगी और औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा.
2030 तक 20 गीगावाट अक्षय ऊर्जा
राज्य सरकार के ठोस प्रयासों से मध्यप्रदेश ग्रीन-एनर्जी हब के रूप में उभर रहा है. वर्तमान में राज्य में 5 बड़ी सौर परियोजनाएँ हैं, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता 2.75 गीगावाट (2,750 मेगावाट) है. सरकार वर्ष-2030 तक नवकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता को 20 गीगावाट (20,000 मेगावाट) तक करने के लक्ष्य को दृष्टिगत रखते हुए कार्य कर रही है.
नीमच और मुरैना: ग्लोबल लेवल के सौर पार्क
प्रदेश में बड़ी सौर परियोजनाएं आकार ले रही हैं, जिनमें नीमच 170 मेगावाट सौर परियोजना और मुरैना हायब्रिड उत्पादन और स्टोरेज पार्क शामिल हैं. नीमच सौर परियोजना में अब तक 100 प्रतिशत भूमि अधिग्रहण किया जा चुका है और परियोजना क्रियाशील हो चुकी है. भारतीय रेलवे और मध्यप्रदेश पॉवर मैनेजमेंट कंपनी (एमपीपीएमसीएल) के लिए ये परियोजना महत्वपूर्ण है, क्योंकि वर्तमान में भारतीय रेल को ऊर्जा की आपूर्ति मध्यप्रदेश से ही की जा रही है.
मुरैना हायब्रिड उत्पादन और स्टोरेज पार्क में दिन में सौर ऊर्जा उत्पादन कर संग्रह किया जाएगा, जबकि रात में पीक-ऑवर में इस संगर्हित विद्युत ऊर्जा की आपूर्ति की जाएगी. इस पार्क में उन्नत ऊर्जा प्रबंधन तकनीकों का उपयोग किया जाएगा.
किसानों के लिए ऊर्जा आत्मनिर्भरता
मध्यप्रदेश सरकार किसानों को अतिरिक्त आय और ऊर्जा आत्मनिर्भरता देने के लिए कुसुम योजना को बढ़ावा दे रही है. इस योजना के अंतर्गत कुसुम-ए योजना में अब तक 1490 मेगावाट क्षमता के संयंत्र स्वीकृत कर उनमें से 570 मेगावाट क्षमता के संयंत्रों का चयन किया जा चुका है. इनमें से अब तक 39 मेगावाट क्षमता के संयंत्र स्थापित भी किये जा चुके हैं. कुसुम-सी योजना में अब तक 3000 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं क्रियान्वित हो चुकी हैं. इनमें से 529 मेगावाट क्षमता की चयनित परियोजनाओं में से 40 मेगावाट क्षमता के संयंत्र स्थापित हो चुके हैं.
मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना
मध्यप्रदेश में इस योजना में आगामी तीन वर्ष में (प्रति वर्ष 10 लाख) 30 लाख किसानों को सौर पम्प उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है.
पीएम-सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना
पीएम-सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना में वर्ष 2026 तक देश के 1 करोड़ घरों में सौर संयंत्र लगाने का लक्ष्य तय किया गया है. अब तक देश के 10 लाख से अधिक घर सौर ऊर्जा से रोशन हो चुके हैं. मध्यप्रदेश इसमें अग्रणी राज्य बनकर उभर रहा है. इस योजना में रिन्यूएबल एनर्जी सर्विस कंपनी मॉडल से सरकारी भवनों के सौर ऊर्जीकरण के लिए निजी निवेशकों की भागीदारी से तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है. योजना में उच्च आय वर्ग की कॉलोनियों में सौर संयंत्र लगाकर बिजली बिल में बचत को प्रोत्साहित किया जा रहा है.
तेजी से बढ़ते निवेश, कम लागत और बेहतर नीतियों से मध्यप्रदेश सौर ऊर्जा का राष्ट्रीय केंद्र बन कर उभर रहा है. मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि राज्य ऊर्जा सरप्लस राज्य बन चुका है. राज्य सरकार प्रदेश को अक्षय ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाकर देश में नवकरणीय ऊर्जा की आपूर्ति का केन्द्र बनाने के प्रयासों में जुटी हुई है.
‘नेट ज़ीरो कार्बन’ लक्ष्य में योगदान
भारत के नेट ज़ीरो कार्बन लक्ष्य वर्ष-2070 को प्राप्त करने में राज्य सरकार की यह पहल महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. मध्यप्रदेश तेजी से नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति लाने वाला राज्य बन चुका है. आने वाले वर्षों में यह न सिर्फ अपनी जरूरतें पूरी करेगा, बल्कि अन्य राज्यों को भी ऊर्जा आपूर्ति करने में सक्षम बनेगा.