पंजाब-महाराष्ट्र नहीं… यह राज्य है ड्रग्स मामलों में पहले पायदान पर! सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने हाल ही में केरल में ड्रग्स की समस्या पर बात की. रेडियो जॉकी जोसेफ अन्नमकुट्टी जोस, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट आदित्य रविद्रन और होम्योपैथिक चिकित्सक फातिमा असला के साथ राहुल गांधी की चर्चा के दौरान, मादक पदार्थों की आसान उपलब्धता को एक कारक के रूप में पहचाना गया. राहुल गांधी ने यह भी पूछा कि क्या बेरोजगारी की भी इसमें भूमिका है? उन्होंने इंस्टाग्राम और फ़ेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की तुलना नशे की लत से की और नशीली दवाओं के दुरुपयोग को अपराध से जोड़ा.

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चर्चा में शामिल सदस्यों ने बताया कि चाकू से की जाने वाली हत्याएं नशीली दवाओं के इस्तेमाल से जुड़े सबसे आम अपराधों में से एक हैं. केरल के तिरुवनंतपुरम में हाल ही में एक मामले में यह देखा गया, जब 25 फरवरी को एक 23 वर्षीय व्यक्ति पुलिस स्टेशन में गया और दावा किया कि उसने अपनी मां, भाई और प्रेमिका सहित छह लोगों की हत्या कर दी है. पुलिस ने बताया कि वह नशे का आदी था और नशीले पदार्थों की खरीद-फरोख्त से बढ़ते कर्ज ने उसे अपराध की ओर धकेल दिया.

ड्रग्स के मामलों में केरल नंबर वन

12 मार्च को लोकसभा ने ड्रग तस्करी के मामलों पर तीन साल के आंकड़े जारी किए, जिसमें केरल 85,000 से ज्यादा दर्ज मामलों के साथ सूची में सबसे ऊपर है. महाराष्ट्र 35,000 से ज्यादा मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है, उसके बाद पंजाब है, जो ड्रग से जुड़े मामलों के लिए जाना जाता है. लेकिन क्या केरल में नशीली दवाओं से जुड़े मामलों में यह वृद्धि कोई हालिया ट्रेंड है? आंकड़े बताते हैं कि राज्य में नशीली दवाओं की तस्करी हमेशा से एक बड़ा मुद्दा नहीं था. 2016 में केवल छह हजार मामले दर्ज किए गए थे, जो 2017 में बढ़कर 9,244 हो गए. अगले दो वर्षों तक यह संख्या 9,000 के आसपास रही और 2020 में घटकर लगभग 5,000 हो गई. ऐसा लगता है कि पिछले तीन सालों में यह समस्या और भी बढ़ गई है. 2022 में केरल में ड्रग तस्करी के मामले बढ़कर 26,918 हो गए, जो कि 373 प्रतिशत की भारी वृद्धि है. 2023 में यह संख्या बढ़ती रही और 30,715 तक पहुंच गई, जो 2024 में थोड़ी कम होकर 27,701 हो गई.

केरल में कौन से ड्रग्स प्रचलन में हैं?

लोकसभा ने केरल में एटीएस और एमडीएमए सहित सिंथेटिक ड्रग्स की जब्ती के आंकड़े भी जारी किए. 2021 में केवल 5.42 किलोग्राम ड्रग्स जब्त किया गया, जो 2022 में बढ़कर 9.6 किलोग्राम हो गया. हालांकि, 2023 में जब्ती बढ़कर 2,543.22 किलोग्राम हो गई, जिसमें एटीएस की हिस्सेदारी सबसे बड़ी थी. 2024 में यह मात्रा काफी कम होकर 25.85 किलोग्राम हो गई. लेकिन भारत के बारे में क्या? लोकसभा के आंकड़ों के अनुसार, भारत में ड्रग लॉ एंफोर्समेंट एजेंसियों ने सबसे अधिक मात्रा में मारिजुआना जब्त किया, जो कुल 18.8 लाख किलोग्राम था. एलएसडी 45,814 ब्लॉट्स के साथ दूसरे नंबर पर सबसे अधिक जब्त किया गया ड्रग्स रहा, उसके बाद सीबीसीएस 41,450 लीटर के साथ दूसरे नंबर पर रहा. अफीम 20,970 किलोग्राम जब्त की गई, जो चौथे नंबर पर रही.

पूर्व आईपीएस अधिकारी केजी साइमन ने कहा कि केरल में नशीली दवाओं का दुरुपयोग खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. उन्होंने कहा कि जब वे त्रिशूर में कमिश्नर के रूप में तैनात थे, तो उन्हें केरल में बढ़ते नशीली दवाओं के उपयोग के बारे में एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी. उस समय, भांग सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला पदार्थ था. उन्होंने यह भी कहा, ‘छात्रों में नशीली दवाओं की तस्करी में शामिल गुंडों के साथ संबंध बनाने की प्रवृत्ति बढ़ रही है. यह उनकी वीरता का महिमामंडन है जो इस प्रवृत्ति को बढ़ावा देता है. ये अपराधी फिर बच्चों को नशीली दवाओं के तस्कर के रूप में शोषण करते हैं.’ हालांकि, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कानून प्रवर्तन अधिकारियों की एक बैठक में मुख्य सचिव को राज्य में एक बड़े ड्रग्स विरोधी अभियान का खाका तैयार करने का निर्देश दिया.

तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस के लोकसभा सांसद शशि थरूर ने केरल में नशीली दवाओं के बढ़ते प्रकोप को बेहद गंभीर बताया. थरूर ने 3 मार्च को कहा, ‘यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे मैंने संसद में उठाया है, और मुझे अधिकारियों से संतोषजनक जवाब नहीं मिला है. हमें केरल में नशीली दवाओं के खिलाफ जंग छेड़ने की जरूरत है.’ सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा भारत में ड्रग्स के सेवन की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, केरल में अनुमानित 7.5 लाख वयस्क (18-75 वर्ष) नशीली दवाओं के उपयोगकर्ता हैं. भांग सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाला नशीला पदार्थ है और केरल में करीब 3.52 लाख वयस्क इसका सेवन करते हैं, इसके बाद ओपिओइड का स्थान है. राज्य में अनुमानित 2.12 लाख लोग इस ड्रग्स का सेवन करते हैं. ये पदार्थ केरल में 10-17 वर्ष की आयु के बच्चों में प्रचलित हैं. राज्य में अनुमानित 75,000 बच्चे नशीली दवाओं का सेवन करते हैं.

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