राजस्थान के विश्वविख्यात मकराना मार्बल की खदानों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं, फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के आधार पर मकराना की 203 खदानों को अरावली पर्वतमाला क्षेत्र के पॉलीगोन में शामिल किया गया था, जिसके चलते इन सभी खदानों में खनन कार्य बंद है, इस कारण हजारों खदान मजदूरों और लाखों लोगों की रोजी-रोटी पर संकट मंडरा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों से थमी खनन गतिविधियां
खनन मामलों के जानकार डॉ. एम. आलम एडवोकेट के मुताबिक सर्वोच्च न्यायालय के 9 मई 2024 के आदेश के अनुसार, इन खदानों में खनन पर पूर्ण रूप से रोक लगाई गई है, कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में खनिज विभाग द्वारा खदान मालिकों को नोटिस जारी कर खनन कार्य रुकवाया जा रहा है.
क्वारी लाइसेंस नवीनीकरण पर भी रोक
अधिकांश खदानों के क्वारी लाइसेंस 31 मार्च 2025 तक वैध थे। खदान अनुज्ञाधारकों ने समयावधि बढ़ाने हेतु आवेदन शुल्क, प्रीमियम और किराया आदि विधिवत रूप से जमा भी करवा दिए थे। लेकिन अरावली क्षेत्र में शामिल किए जाने के कारण नवीनीकरण की प्रक्रिया पर भी रोक लग गई है, अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर ही निर्भर हो गया है.
भूगर्भीय खदानों को पर्वतीय क्षेत्र मानने पर उठे सवाल
विशेषज्ञों का कहना है कि मकराना की खदानें भूगर्भीय हैं, ना कि पर्वतीय। यहां सैकड़ों वर्षों से भूमिगत खनन हो रहा है और यह क्षेत्र कभी भी अरावली की पहाड़ियों में शामिल नहीं रहा, सुप्रीम कोर्ट से पुनः सर्वे कराने और खदानों को अरावली पॉलीगोन से बाहर निकालने की मांग उठ रही है.
मकराना मार्बल की ऐतिहासिक और वैश्विक पहचान
मकराना मार्बल न केवल GI टैग प्राप्त कर चुका है बल्कि इसे IUGS हेरिटेज स्टोन का दर्जा भी मिला है। यह मार्बल ताजमहल, विक्टोरिया मेमोरियल (कोलकाता) और अनेक धार्मिक स्थलों की शान बढ़ा चुका है। ऐसे में यहां की खदानों का बंद होना ना केवल रोजगार बल्कि विरासत के संरक्षण पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है.
राज्य सरकार और खनन अनुज्ञाधारकों को सुप्रीम कोर्ट में रखना होगा प्रभावी पक्ष
खनन क्षेत्र से जुड़े संगठनों और जनप्रतिनिधियों का मानना है कि राज्य सरकार को तत्परता दिखाते हुए सुप्रीम कोर्ट में मकराना खदानों का पक्ष मजबूती से रखना चाहिए। साथ ही पुनः सर्वे करवाने की मांग को प्राथमिकता देनी चाहिए ताकि क्षेत्र के लाखों लोगों का जीवन प्रभावित ना हो.
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया भी हुई तेज
विधायक जाकिर हुसैन गैसावत ने आरोप लगाया कि मकराना खदानों को जानबूझकर एक साजिश के तहत अरावली पॉलीगोन में शामिल किया गया है, ताकि अन्य क्षेत्रों के बड़े उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाया जा सके, वहीं, कलस्टर 10A मार्बल माइनिंग सोसायटी के अध्यक्ष हारून रशीद चौधरी ने मांग की कि केंद्र और राज्य सरकार को इस विषय पर शीघ्र संज्ञान लेकर ठोस कदम उठाना चाहिए.
खनिज विभाग के अधिकारियों का ये है कहना
खान एवं भू विज्ञान विभाग ,मकराना के अभियंता ललित मंगल ने इस बारे में बताया की न्यायालय के आदेशों के मुताबिक विभागीय स्तर पर खदानों में खनन कार्य को बंद करवाये जाने की कार्रवाही शुरू कर दी गई है, खनन कार्य बंद करवाये जाने को लेकर खदान अनुज्ञाधारकों को नोटिस जारी किये जा रहे है। अधिकांश खदान अनुज्ञाधरकों ने क्वारी लाइसेन्स के नवीनीकरण को लेकर आवेदन कर रखा है, न्यायालय के आदेशों से बंद करवाई जा रही खदानों के क्वारी लाइसेन्स के नवीनीकरण की प्रक्रिया न्यायालय के आदेशों के बाद ही प्रारंभ हो सकेगी. न्यायालय के आदेशों के मुताबिक ही विभाग द्वारा अन्य कार्रवाही कर सकेगा.
खदानों का भविष्य अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिका
मकराना की खदानों का भविष्य अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिका है, जब तक न्यायालय से राहत नहीं मिलती, तब तक इन 203 खदानों में खनन कार्य दोबारा शुरू नहीं हो पाएगा, इस बीच लाखों मजदूर और उनके परिवार अनिश्चितता की स्थिति में जीवन व्यतीत कर रहे हैं.