श्योपुर : जिले स्थित कूनो नेशनल पार्क में एक अनोखी और दिल को छू लेने वाली घटना ने न केवल मानवीय संवेदनाओं को सामने लाया, बल्कि वन विभाग की नीतियों और कूनो पार्क में चीतों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए हैं.
यह घटना उस समय हुई, जब वन विभाग के प्राइवेट चालक ने इंसानियत का परिचय देते हुए प्यासे चीतों को पानी पिलाया हालांकि, यह नेक के काम बाद में उसके लिए भारी पड़ गया और उन्हें तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया. यह घटना कूनो नेशनल पार्क की सुरक्षा व्यवस्थाओं और चीतों के संरक्षण पर गहरी छानबीन की मांग कर रही है.
यह घटना तब घटित हुई जब मादा चीता ज्वाला और उसके चार शावक कूनो नेशनल पार्क की सीमा से बाहर निकलकर आसपास के ग्रामीण इलाकों में भटकने लगे थे. चीतों की प्यास बुझाने के लिए वन विभाग का प्राइवेट चालक सत्यनारायण गुर्जर ने अपनी मानवता दिखाई.
उन्होंने एक बर्तन में पानी डाला और चीतों के पास रख दिया. वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि ज्वाला और उसके शावक शांति से बर्तन से पानी पीते हैं और फिर वापस जंगल की ओर लौट जाते हैं. यह दृश्य बेहद भावुक था और एक कैमरे में कैद हो गया. इस वीडियो ने सोशल मीडिया पर तेजी से हलचल मचाई और देखते ही देखते यह वायरल हो गया.
चीतों की सुरक्षा पर सवाल
यह घटना कूनो नेशनल पार्क की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल उठाती है। वन विभाग का दावा था कि चीतों की पूरी तरह से निगरानी की जा रही है और वे पूरी तरह सुरक्षित हैं, लेकिन ज्वाला और उसके शावकों का पार्क से बाहर निकलना और पानी की तलाश में गांवों तक पहुंचना इस बात का संकेत है कि पार्क में चीतों के लिए पर्याप्त पानी और शिकार की व्यवस्था नहीं हो पा रही है. यह घटना यह दर्शाती है कि कूनो पार्क में चीतों के संरक्षण को लेकर कुछ गंभीर खामियां हैं.
स्थानीय ग्रामीणों का आक्रोश
चालक के निलंबन के बाद स्थानीय ग्रामीणों में नाराजगी की लहर दौड़ गई है। एक ग्रामीण रामू ने कहा, “उसने तो सिर्फ प्यासे जानवरों की मदद की. उसे सजा देना गलत है. अगर चीते भूखे-प्यासे गांव में आएंगे, तो क्या हम कुछ न करें?” कुछ दिन पहले ज्वाला और उसके शावकों ने गांव में छह बकरियों का शिकार किया था, जिसके बाद ग्रामीणों ने उन पर पत्थर फेंके थे. लेकिन इस बार पानी पिलाने की घटना ने ग्रामीणों और चीतों के बीच एक नया रिश्ता स्थापित किया था, जो अब वन विभाग के इस फैसले से प्रभावित हो सकता है.
विशेषज्ञों की राय
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि चीतों को इंसान से पानी या भोजन लेने की आदत पड़ना खतरनाक हो सकता है. एक विशेषज्ञ ने कहा, “चीते शर्मीले स्वभाव के होते हैं और इंसानों से दूर रहते हैं. अगर वे इंसानों पर निर्भर होने लगे, तो यह उनके जंगली व्यवहार को खत्म कर देगा. लेकिन यह भी सच है कि पार्क में पानी और शिकार की कमी उनकी जान जोखिम में डाल रही है.
चीतों को पानी पिलाने वाले ड्राइवर बोला दयाभाव से पानी पिलाया
सत्यनारायण के अनुसार, उनकी गाड़ी रेंजर सुनील सेंगर के यहां चालक सहित अटैच है. घटना वाले दिन चालक नहीं आया तो वह खुद ही गाड़ी लेकर चला गया था। घटनाक्रम याद करते हुए उन्होंने कहा-‘मैंने तो दयाभाव से पानी पिला दिया था.आपने वीडियो में देखा होगा कि मैंने पानी डाला और वह शांति से पानी पी रहे हैं.
यदि मैं कोई जबरदस्ती छेड़छाड़ कर रहा होता तो उसे गलत माना जाए.’चीतों से यहां के लोग डर रहे हैं। कुछ दिन पहले ग्रामीणों ने उन्हें पत्थर मारकर भगा दिया जो गलत है। चीतों से डरने की जरूरत नहीं है, बल्कि वह तो हमारे मित्र हैं। उन्हें लाठी डंडे की से न भगाएं. उनके साथ शांति से पेश आएं। वह प्रेम के भूखे हैं. आप पर कभी हमला नहीं करेंगे.’
‘मेरी कोई सरकारी नौकरी तो है नहीं, प्राइवेट नौकरी है. एक बार नहीं, तीन बार हटा दें, कोई दिक्कत नहीं.’
पानी’ पर उबला समाज महापंचायत बुलाई
इधर मामला समाज ने मप्र वन विभाग को चेतावनी देते हुए चालक को नौकरी पर रखने के लिए कहा है। तीन दिन बाद श्योपुर में महापंचायत बुलाई है.पानी पिलाने पर मचे हंगामे और चालक पर हुई कार्रवाई के विवाद में अब गुर्जर समाज का एक संगठन भी कूद गया है.
दिल्ली में पथिक सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष, मुखिया गुर्जर ने घोषणा की है कि यदि तीन दिन में चालक को नौकरी पर पुनः बहाल नहीं किया गया तो श्योपुर में महापंचायत की जाएगी. उन्होंने कहा कि सत्यनारायण ने वीरता और साहस से अपनी जान जोखिम में डालकर दया व करुणा और मानवता का आदर्श स्थापित करते हुए चीतों को पानी पिलाया है.